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शौक बना प्रोफेशनः नदी-नालों में गोते लगाते-लगाते बन गए गोताखोर
वीरेंद्र भारद्वाज/मंडी। कभी-कभी इंसान का शौक (Hobby) कब उसका प्रोफेशन (Profession) बन जाए इस बात का उसे भी पता नहीं चलता। कुछ ऐसा ही हुआ है सुंदरनगर उपमंडल की ग्राम पंचायत जुगाहन और तलवाड़ी के एक दर्जन युवाओं के साथ। ये युवा शौकिया तौर पर नदी-नालों, नहर और झीलों में गोते लगाते थे। कभी कोई पशु पानी में गिर जाए तो बिना किन्हीं उपकरणों के अपनी जान जोखिम में डालकर उसे बचाने का काम करते थे। लेकिन इसके बाद इन्हें वर्ष 2010 में सुंदरनगर के तत्कालीन SDM पंकज राय का साथ मिला और इन्हें गोताखोरी (Diving) का प्रशिक्षण लेने के लिए नंगल और पौंग डैम जाने का मौका मिला।
अब तक हजारों शव और पशुओं को पानी से निकाला
यहां इन्होंने गोताखोरी की बारीकियां सीखी और उसके बाद माहुंनाग डाईविंग (Mahunag Diving) के नाम से एक एसोसिएशन का गठन किया। एसोसिएशन के प्रधान शिव राम ने बताया कि प्रदेश में जब भी कोई पानी में डूब जाता है तो उसे रेस्क्यू करने या फिर उसके शव को तलाशने के लिए पानी की तलहटी तक जाने का साहस इनकी एसोसिएशन के गोताखोर (Divers) ही दिखाते हैं। एसोसिएशन के प्रधान शिव राम ने बताया कि कभी बर्फ के ठंडे पानी में डूबकी लगानी पड़ती है तो कभी मटमैले पानी के अंदर जाकर झांकना पड़ता है। कभी घुमावदार पानी के बीच जान जोखिम में डालनी पड़ती है तो कभी अंधकार भरे गहरे पानी में जाकर शवों की तलाश करनी पड़ती है। यह काम काफी जोखिम भरा होता है और इसके करने के लिए साहस की जरूरत रहती है। उन्होंने बताया कि कभी निकाले गए शवों की गिनती तो नहीं की लेकिन अनुमानतः अभी तक एसोसिएशन के लोग पूरे प्रदेश में 2 हजार से ज्यादा शवों और हजारों पशुओं को पानी से बाहर निकाल चुके हैं।
सभी जगह गोताखोरी के लिए इन्हें ही बुलाता है प्रशासन
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में पानी में जितने भी बड़े हादसे हुए, इन्होंने ही वहां पर जाकर सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया है। चाहे चंद्रताल की झील हो, या फिर ब्यास नदी में हुआ कोई हादसा। सतलुत की गहराई नापने की बात हो या फिर चंबा की रावी में छलांग लगाने की बात हो, इन्हें हर जगह जाकर गोते लगाने का मौका मिल चुका है। पंजाब से सटे इलाकों में नंगल से गोताखोर बुला लिए जाते हैं लेकिन उसके अलावा पूरे प्रदेश में इन्हें ही बुलाया जाता है। ये एक दिन का तीस हजार रूपए चार्ज करते हैं।
गोताखोरी का यह कार्य हादसों के उपरांत ही होता है लेकिन जो राशि मिलती है उसे यह आपस में बांटने के साथ-साथ खुद के लिए उपकरण खरीदने और उनकी देखरेख पर भी खर्च करते हैं। माहुंनाग डाईविंग एसोसिएशन में प्रधान शिव राम के अलावा चुन्नी लाल उपाध्यक्ष, शिवपाल चौहान सचिव, श्याम लाल सह सचिव, संत राम कोषाध्यक्ष, दलीप कुमार शास्त्री मुख्य सलाहकार, कृष्ण कुमार, तिलक राज, भीम देव और लक्ष्मण दास सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं। ये सभी गोताखोरी में माहिर हैं।