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हिमाचल : कोरोना के घटते ही स्क्रब टायफस ने मारी एंट्री, आईजीएमसी में 4 मामले
शिमला। हिमाचल में कोरोना के मामले घटने के साथ ही अब स्क्रब टायफस (Scrub Typhus) लोगों को डराने लगा है। बदलते मौसम के चलते हिमाचल (Himachal) में स्क्रब टायफस के मामले सामने आने लगे हैं। प्रदेश की राजधानी शिमला (Shimla) के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी (IGMC) में स्क्रब टायफस के 4 नए मामले सामने आए हैं। जिससे स्वास्थ्य विभाग सहित लोगों में हड़कंप मच गया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कोविड-19 के साथ-साथ लोगों को अन्य बीमारियों के खिलाफ जागरूक करना आवश्यक है। बरसात का मौसम अपने चरम पर है। ऐसे में स्क्रब टाइफस फैलने का खतरा अधिक होता है। अगर लोगों को इसके बारे में जानकारी हो तो इससे समय रहते बचा जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के अनुसार स्क्रब टाइफस एक रिकेटसिया नामक जीवाणु से फैलता है और ये पिसुओं में पाया जाता है। संक्रमित पिस्सू, जंगली चूहों में पाए जाते हैं और घास तथा खेतों में से आकर घरों में आ जाते हैं। संक्रमित पिस्सू स्वस्थ आदमी को काटता है और स्क्रब टाइफस फैलाता है। लोगों को स्क्रब टाइफस और अन्य जीवाणु तथा वायरस जनित रोगों से बचाव को लेकर शिक्षित एवं जागरूक किया जाना चाहिए।
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स्क्रब टाइफस वाले मरीज को 104 से 105 डिग्री तक बुखार (Fever) होता है, जोड़ों में दर्द, गर्दन, बाजुओं के निचले भाग व कुल्हों में गिल्टियां होना इसके लक्षण होते हैं। कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर डाक्टर को दिखाएं व अपनी मर्जी से दवा न खाएं।
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क्या बरतें सावधानी
घर के आस-पास घास या झाड़ियां ना उगने दें तथा समय-समय पर सफाई करते रहें। शरीर को स्वच्छ रखें (Keep Clean) और हमेशा साफ कपड़े पहनें। आसपास जलजमाव बिल्कुल ना होने दें। घर के अंदर और आसपास कीटनाशकों का छिड़काव (Insecticides Spray) अवश्य करें। खेतों में काम करते समय हाथ व पैरों को अच्छे से ढककर रखें। बरसात के मौसम में इस बीमारी के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। समय पर डाक्टर को दिखाने पर इसका आसानी से इलाज (Treatment) संभव है। यह रोग एक आदमी से दूसरे को नहीं फैलता है। स्क्रब टायफस का ज्यादा प्रकोप जुलाई से अक्टूबर तक रहता है। इस मौसम में अधिकतर लोग खेतों और घासनियों में घास काटते हैं।
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