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J&K: बिना कारण बताए सील किया गया ‘कश्मीर टाइम्स’ का दफ्तर; मालिक ने सरकार पर जड़े आरोप
Last Updated on October 20, 2020 by
श्रीनगर। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के श्रीनगर में संपदा विभाग के अधिकारियों द्वारा राज्य के सबसे पुराने अखबारों में से एक कश्मीर टाइम्स (Kashmir Times) अखबार के दफ्तर को सोमवार को सील कर दिया गया। अखबार के मालिक का कहना है कि इस कार्रवाई में कानून का पालन नहीं किया गया है। दफ्तर को सील करने से पहले ना तो कोई नोटिस दिया गया और ना ही इसकी कोई जानकारी दी गई। वहीं, कई राजनेताओं ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह प्रेस की स्वतंत्रता छीनना चाहती है और उसे चुप कराना चाहती है।
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद SC तक गई थीं अखबार की संपादक
Today, Estates Deptt locked our office without any due process of cancellation & eviction, same way as I was evicted from a flat in Jammu, where my belongings including valuables were handed over to "new allottee". Vendetta for speaking out! No due process followed. How peevish! pic.twitter.com/J5P0eKxvbx
— Anuradha Bhasin (@AnuradhaBhasin_) October 19, 2020
इस अंग्रेजी अखबार का मुख्यालय जम्मू में है और यह केंद्र शासित प्रदेश के दोनों क्षेत्रों से प्रकाशित होता है। वहीं, कश्मीर टाइम्स का यह दफ्तर श्रीनगर के प्रेस एंक्लेव में स्थित है। अखबार के मालिक ने यह भी कहा है कि उनके अखबार का ऑफिस क्यों सील किया गया, इसका कोई कारण उन्हें नहीं बताया गया। बता दें कि इससे पहले कश्मीर टाइम्स की संपादक और मालिक अनुराधा भसीन जमवाल का जम्मू स्थित घर भी सरकार ने खाली करा लिया था। अनुराधा भसीन ने कहा, ‘श्रीनगर में हमारे कार्यालय को बंद कर दिया गया। दफ्तर को सील करने के दौरान किसी भी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। कोई भी नोटिस नहीं दिया गया। यहां तक कि उनके दफ्तर का अलॉटमेंट भी रद्द नहीं किया गया न ही बेदखली की कोई प्रक्रिया की गई।’
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उन्होंने कहा, ‘हम संपदा विभाग गए और उनसे (कार्यालय खाली करने) इस संबंध में आदेश देने को कहा, लेकिन उन्होंने आदेश जारी नहीं किया। इसके बाद हमने अदालत का रुख किया लेकिन वहां से भी कोई आदेश नहीं आया।’ भसीन ने इस कदम को अपने खिलाफ ‘प्रतिशोध’ बताया, क्योंकि वह सरकार के खिलाफ बोलीं थी और उन्होंने पिछले साल अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में मीडिया पर लगाई गईं पाबंदियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।