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Haridwar Kumbh Mela 2021 : एक समय स्नान के लिए साधुओं में होता था खूनी संघर्ष, कई गंवाते था जान
हरिद्वार। कुंभ मेले का आयोजन इस बार 11 साल बाद होगा। कुंभ मेले (Haridwar Kumbh Mela 2021) में चार शाही स्नान होंगे। 11 मार्च को महाशिवरात्रि को पहला शाही स्नान (Shahi Snan) होगा। इसके बाद दूसरा शाही स्नान (Second Shahi Snan) 12 अप्रैल, तीसरा शाही स्ना 14 अप्रैल और चौथा शाही स्नान (Fourth Shahi Snan) 27 अप्रैल को होगा, लेकिन क्या आपको पता है कुंभ (Kumbh Snan) में स्नान के लिए के लिए अखाड़े (Akhare) के साधुओं में स्नान लिए एक समय खूनी संघर्ष ( Bloody Struggle) तक हुआ करते थे। यही नहीं, ये खूनी संघर्ष इतने भयंकर होते थे कि 19वीं शताब्दी में तो इसमें कई साधुओं की मौत हो जाती तो कई घायल हो जाते। आज कुंभ मेले में होने वाले साधुओं के इसी खूनी संघर्ष पर बात करते हैं।
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जानकारी के अनुसार अखाड़े के साधुओं के बीच इस बात को लेकर संघर्ष होते थे कि पहले कौन अखाड़ा स्नान करेगा। जब भारत पर अंग्रेज राज करते थे तो उन्होंने इन खूनी संघर्षों को रोकने के लिए अखाड़ों का क्रम सुनिश्चित किया। अखाड़ों के स्नान क्रम के साथ ही स्नान समय भी निर्धारित किया गया ताकि किसी तरह का टकराव ना हो। आपको बता दें कि 1998 में भी हरिद्वार में कुंभ के दौरान जूना और निरंजनी अखाड़े के बीच खूनी संघर्ष हो गया था। ये संघर्ष सिर्फ इस बात के लिए हुआ कि क्योंकि एक अखाड़े ने स्नान में ज्यादा समय लिया।
इसके अलावा नासिक और उज्जैन कुंभ में भी संघर्षों का इतिहास रहा है। जानकारी के अनुसार 1903 के हरिद्वार कुंभ में नागा साधुओं और बैरागियों के बीच भी संघर्ष हुआ था। उस समय भारत पर राज कर रही अंग्रेज सरकार ने अखाड़ों महंतों को बुलाकर उनसे बातचीत की। उस दौरान अखाड़ा परिषद नहीं थी। ऐसे में लंबी बातचीत के बाद अखाड़ों का स्नानक्रम तय किया गया। 1938 के हरिद्वार कुंभ में इसे लिखित रूप दिया गया।
हरिद्वार कुंभ में पहले शाही स्नान पर निरंजनी, दूसरे शाही स्नान पर जूना और तीसरे शाही स्नान पर महानिर्वाणी अखाड़ा सबसे पहले स्नान करते हैं। आखिरी चौथा स्नान केवल बैरागी अखाड़ों के लिए तय है। यहां आपको ये भी बता दें कि सभी कुंभ नगरों के अखाड़ों के स्नान के क्रम अलग-अलग हैं। नासिक कुंभ में बैरागी अखाड़े नासिक और संन्यासी नागा अखाड़े त्रयम्बकेश्वर में स्नान करते हैं।बता दें कि कुंभ मेले की शुरुआत रमता पंचों के नगर प्रवेश से होती है।