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ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी बोले- हम सबसे सस्ती बिजली दे रहे, उनकी बातें राजनीतिक
शिमला। अरविंद केजरीवाल जब लगातार तीसरा बार दिल्ली के सीएम बने तो लोगों ने कहा कि उन्हें फ्री बिजली (Free Electricity) पानी और महिलाओं के लिए की फ्री बस यात्रा के नाम पर वोट मिला। अब आम आदमी पार्टी पंजाब और गोवा में भी यही मॉडल (Kejriwal Electricity Model) लागू करने वाली है। हिमाचल के एक बड़ा बिजली उत्पादक प्रदेश है। यहां बहुत सारे बिजली प्रोजेक्ट हैं। ऐसे में जब हिमाचल के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी (Energy Minister Sukhram Chaudhary) से इस बाबत सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमारी बिजली दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, जम्म कश्मीर से सस्ती है। हम 75 पैसे से लेकर 5 रुपए प्रतियूनिट बिजली देते हैं। ये घेरलू दरें हैं। जैसे-जैसे स्लैब बढ़ता है बिजली महंगी होती है।
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सुखराम चौधरी ने कहा कि दिल्ली (Delhi) केंद्र शासित प्रदेश है और देश की राजधानी है। वहां बहुत से टैक्स की क्लेक्शन होती है। एरिया भी सिमित होता है। इसलिए टैक्स का पैसा इक्ट्ठा कर सबसिडी दी जाती है। हिमाचल प्रदेश पहाड़ी प्रदेश है। यहां एक फ्लड आता है और अरबों रुपए का नुकसान हो जाता है। बरसात ज्यादा होने के कारण सड़कें अवरूद्ध हो जाती हैं। भौगोलिक परिस्थियों के अनुसार जो अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) कह रहे हैं वो मात्र कागजों की बाते हैं। प्रत्येक सरकार अपनी ओर से हर संभव प्रयास करती है कि अपने उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देते हैं। जो वो कहते हैं उसमें वास्तविकता नहीं है।
बकौल ऊर्जा मंत्री, हिमाचल प्रदेश पूरे देश भर में सबसे सस्ती बिजली देता है। वास्तविक रूप से काम करने पड़ेगा तो उसमें कई दिक्कतें आती हैं। अरविंद केजरीवाल दिल्ली मॉडल को बताते हैं कि दूसरे राज्यों में लागू करेंगे। हिमाचल में कितने कर्मचारी हैं। हम तो वैसे भी केंद्र की तरफ देखते हैं। अरविंद केजरीवाल की बात विशुद्ध रूप से राजनीतिक है।
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ऊर्जा मंत्री ने राज्य सचिवाल में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हिमाचली की आर्थिक मजबूत करने में इस क्षेत्र का बड़ा योगदान रहा है। हिमाचल में अधिक से अधिक बिजली का दोहन हो। इसमें हम समय समय पर हम सुधार करने के प्रयास कर रहे हैं। इस तरह के प्रोजेक्ट जिनका काम शुरू नहीं हुआ अभी तक उनको राहत दी जा रही है। पावर पर्चेज एग्रीमेंट काफी पुराना था। उसमें बदलाव किया गया है। इस साल गर्मियों में बिजली का उत्पादन कम हुआ है।
इस बार बर्फ भी कम पड़ी और समय पर बरसत भी कम हुई। तीन चार महीनों से 40 फीसदी की गिरावट आई है। हम इसमें प्रयास कर रहे हैं। हमने उन प्रोजेक्ट को राहत दी है जिनका काम शुरू नहीं हुआ है, जिनका काम 20 से 40 फीसदी हुआ है। हम इस पर गहन विचार कर रहे हैं। उनका पीपीए भी नए सिरे से हो ताकि वो प्रोजेक्ट जल्द लगें और हिमाचल की आर्थिकी में शामिल हों। साथही हम ट्रांसमिशन सिस्टम को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। आगे बिजली हम तभी दे सकते हैं जब हमारा डिस्ट्रीबियूशन मजबूत हो।
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हमने हिमाचल के हर घर में बिजली दी है, लेकिन हमारा ट्रांसमिशन सिस्टम जितना मजबूत होना चाहिए था उतना मजबूत नहीं है। हम प्रयास कर रहे हैं एपीटीसीएल और बिजली बोर्ड मिलकर लाइन तैयार कर रहे हैं ताकि हम हिमाचल प्रदेश के उपोभक्ता को गुणवत्तापूर्ण बिजली दे सकें। उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन का टारगेट मौसम पर निर्भर करता है। हिमाचल में दो तरह के पावर प्रोजेक्ट हैं। कुछ प्रोजेक्ट बरसात में ज्यादा चलते हैं, जबकि कुछ बर्फ के क्षेत्रों वाले पावर प्रोजेक्ट गर्मियों में ज्यादा चलता है।
सरप्लस होकर भी 40 फीसदी कम बिजली उत्पादन
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि बीते महीनों में लक्ष्य से 40 फीसदी तक कम बिजली का उत्पादन हुआ है। हालांकि ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी द्वारा बताए गए आंकड़े बताते हैं कम उत्पादन के बावजूद हिमाचल में सरप्लस बिजली उत्पादन हुआ है। हिमाचल में अप्रैल महीने में 838 मिलियन यूनिट की खप्त हुई, जबकि 1150 मिलियन यूनिट का उत्पादन हुआ। मई में 800 मिलिन यूनिट की खत्प हुई जबकि 1145 मिलियन यूनिट उत्पादन हुआ। जून में 1220 मिलियन यूनिट का उत्पादन हुआ। सर प्लस बिजली बाहरी राज्यों को बेची गई।
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