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पद्मश्री डॉ ओमेश भारती की रंग लाई मेहनत, रेबीज हिमाचल में होगा अधिसूचित रोग
Last Updated on September 26, 2021 by saroj patrwal
शिमला। दुनिया में कई रोगों का अभी तक पुख्ता इलाज नहीं खोजा गया है। इन्हीं रोगों में से एक है रेबीज। मगर हिमाचल के डॉक्टर ओमेश भारती के प्रयास ने रेबीज पर कुछ हद तक रोकथाम में असर दिखाई है। डॉक्टर भारती के शोध के बाद रेबीज की रोकथाम का सबसे सस्ता उपाय मिल गया है। इसी खोज के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा डॉ. भारती को पद्मश्री भी मिला है। ओमेश भारती के शोध कार्य के बाद डॉ. भारती व अन्य विशेषज्ञों ने रेबीज को अधिसूचित रोग की श्रेणी में लाए जाने के लिए प्रयास किया। वहीं, अब ओमेश भारती के प्रयासों पर केंद्र सरकार ने गौर फरमाया है।
केंद्र ने दिए कार्रवाई के आदेश
केंद्र सरकार (central government) ने हिमाचल के स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर इस बारे में आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए आदेश दिए हैं। जिसके बाद हिमाचल में अब रेबीज अधिसूचित रोग होगा। इसका मतलब यह है कि अगर कोई सरकारी या निजी स्वास्थ्य संस्थान में रेबीज पीड़ित व्यक्ति चिकित्सा सहायता के लिए जाता है, तो संबंधित स्वास्थ्य प्रशासन उस रोगी के रिकोर्ड को सुरक्षित रखेगा। अगर कोई स्वास्थ्य संस्थान ऐसा नहीं करता पाया गया तो उसके खिलाफ दंडात्मक कानूनी कार्रवाई होगी।
20 हजार से अधिक लोगों की होती सालाना मौत
इस फैसले से सरकार और स्वास्थ्य महकमे को देश और राज्य सें रेबीज से पीड़ित मरीजों का सही आंकड़ा पता लग पाएगा। साथ ही, रेबीज से होने वाली मौत के बारे में भी अध्ययन संभव हो पाएगा। ऐसा होने से रेबीज की रोकथाम व अन्य संभावित उपायों पर काम किया जा सकेगा। बता दें कि भारत देश में हर साल 20 हजार लोगों की मौत रेबीज से होती है। इसके अलावा पूरी दुनिया में रेबीज से मरने वालों का आंकड़ा 59 हजार है। ये वो मामले हैं जो सामने आ सके हैं। इसके अलावा देश में अधिसूचित रोग न होने के कारण रेबीज से होने वाली मौतों का कोई प्रामाणिक डाटा उपलब्ध नहीं है।
कौन हैं डॉक्टर ओमेश भारती
डॉ. ओमेश भारती ने शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (Indira Gandhi Medical College) से एमबीबीएस करने के बाद डीएचएम व आईसीएमआर से एमएई की डिग्री हासिल की है। वे 27 साल से हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न पदों पर सेवाएं दे रहे हैं। रेबीज की रोकथाम के लिए खोजे गए सबसे सस्ते उपाय के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ( World Health Organization) को उनका प्रोटोकॉल मंजूर करना पड़ा। उनके नाम देश और विदेश में कई प्रतिष्ठित सम्मान दर्ज हैं।
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