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ढक्कन से पहले दवा की शीशियों पर लगाई जाती है रूई, जानिए कारण
अक्सर हम देखते हैं कि कुछ मरीजों को ट्रांसपेरेंट शीशियों में टेबलेट्स (Tablets) रखकर दी जाती हैं। इन दवा की शीशियों में ढक्कन लगाने से पहले रूई रखी जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है। ऐसा खासकर होम्योपैथिक दवाओं के मामले में ज्यादा देखा जाता है।
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रिपोर्ट्स के अनुसार, सबसे पहले ऐसा करने की शुरुआत 1900 में फार्मा कंपनी बायर द्वारा की गई। कहा जाता है कि कंपनी दवा की शीशियों की डिलीवरी के दौरान शीशी में रूई को गेंद जैसा आकार बनाकर रखती थी। कंपनी का मानना है कि अगर दवाओं से भरी शीशी में रूई लगाई जाती है तो इनके टूटने की आशंका कम हो जाती है। इसके अलावा शीशी में डोज की मात्रा भी कम नहीं होती है। इसके बाद बाकी दवा की बड़ी कंपनियों ने भी फॉलो किया।
वहीं, 1980 में यह चलन शुरू होने के बाद बड़ा बदलाव आया जब शीशी को टूटने से बचाने के लिए टेबलेट के बाहरी हिस्से में ऐसी लेयर बनाई जाने लगी। हालांकि, दुनिया की कई बड़ी कंपनियों ने 1999 में ऐसा करना बंद कर दिया, लेकिन स्थानीय स्तर पर फार्मेसी ने अल्कोहल प्रयोग वाली होम्योपैथिक दवाओं (Homeopathic medicines) में इसका इस्तेमाल जारी रखा। ये चलन होम्योपैथिक दवाओं पर आज भी जारी है।
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