-
Advertisement
पार्टियों में उड़ाई जाने वाली शैंपेन के नाम की स्टोरी जानना चाहेंगे आप, पढ़े यहां
Last Updated on May 22, 2022 by saroj patrwal
शैंपेन का नाम अक्सर जीत के जश्न के साथ जुड़ता है, फिर चाहे वह टीम इंडिया की जीत का जश्न हो या फिर किसी फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड सफलता का, शैंपेन खोलने और उसे एक-दूसरे पर छिड़कने का नजारा आम है। लेकिन आज के समय में इसका चलन इतना ज्यादा बढ़ गया है कि लोग जश्नों में शैंपेन उड़ाना आम बात मानने लगे हैं। इस दौरान कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर शैंपेन क्या है और इसमें कितनी मात्रा में अल्कोहल पाया जाता है? यह कैसे बनती है। वैसे क्या आप जानते हैं कि शैपेन तो एक जगह का नाम है, जबकि यह ड्रिंक कुछ और ही होती है, जिसके बारे में बहुत बारे में कम लोग जानते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि आखिर जिस ड्रिंक को शैंपेन के नाम से जाना जाता है, उस का असली नाम क्या है और ऐसा क्या कारण है कि जिस वजह इसे शैंपेन कहा जाता है। इसके बाद आप समझ जाएंगे कि शैंपेन की क्या कहानी है और यह कैसे बनती है।
यह भी पढ़ें- इस छाते से नहीं रुकती बारिश, कीमत जानकर छूट जाएंगे पसीने
जिस तरह की बोतल में वाइन की बोतल में और बीयर की बोतल में बीयर रखी जाती हैं। वैसे ही अगर शैंपेन की बात करें तो शैंपेन में जो ड्रिंक रखी जाती है, उस स्पार्कलिंग वाइन कहा जाता है। यानी शैंपेन में एक तरह की वाइन ही होती है । बता दें कि स्पार्कल वाइन ही है। यह ज्यादा फिज की वजह से होता है।
नाम के पीछे या है पूरी कहानी
फ्रांस में एक क्षेत्र का नाम शैंपेन है। इस शहर से ही स्पार्कलिंग वाइन का संबंध है। यानी वो स्पार्कलिंग वाइन, जो फ्रांस के शैंपेन क्षेत्र में बनाई जाती है, उस शैंपेन कहते है। ऐसे में कहा जाता है कि हर स्पार्कलिंग वाइन शैंपेन नहीं होती हैं। यानी अन्य देशों में जो स्पार्कलिंग वाइन बनती है, उसे अलग नाम से जाना है। जैसे स्पेन के स्पार्कलिंग वाइन को अलग नाम से जाना जाता है। अगर ये भारत में बनी है तो इसे सिर्फ स्पार्कलिंग वाइन ही कहा जाएगा। शैंपेन बनाने के लिए सबसे पहले अलग अलग तरह के ग्रेप्स का ज्यूस निकाला जाता है और उसमें कुछ पदार्थ मिलाकर उसका फर्मन्टेश किया जाता है। इस खास टेस्ट देने के लिए टैंक में भरकर रखा जाता है। और लंबे समय यानी कई महीनों यानी कई सालों तक फर्मन्टेशन प्रोसेस होने में रखा जाता है इसके बाद इन्हें बोतल में कई सालों तक उल्टा करके रखा जाता है और फर्मन्टेशन होने दिया जाता है। इसमें कार्बनडाइआक्साइन और एल्कोहॅाल जनरेट होते हैं। लंबे समय तक ऐसा करने के बाद एक बार इसके ढक्कन की जगह कॅार्क लगाया जाता है और उस वक्त इसे पहले बर्फ में रखा जाता है। इसके बाद फिर से बोतल को उल्टा करके कई दिन तक रखा जाता है और इसके बाद ये स्पार्कलिंग वाइन तैयार होती है।