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द्रौपदी मुर्मू ने जीता राष्ट्रपति चुनाव, देश को मिली पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति
एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने चुनाव जीत लिया है। उनकी जीत के साथ ही आज देश को पहली आदिवासी महिला के रूप में 15वां राष्ट्रपति (President) मिल गया है। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को काफी अंतर से हरा दिया। द्रौपदी मुर्मू की जीत पर बधाई देने वालों का तांता लग गया है। पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्रौपदी मुर्मू को बधाई देने के लिए उनके घर पहुंचे हैं।
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तीसरे राउंड की गिनती में ही उन्होंने राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी 50 फीसदी वोट हासिल कर लिए थे। कुल तीनों राउंड की बात करें तो कुल वोट 3219 थे। इनकी वैल्यू 8,38,839 थी. इसमें से द्रौपदी मुर्मू को 2161 वोट (वैल्यू 5,77,777) मिले। वहीं यशवंत सिन्हा को 1058 वोट (वैल्यू 2,61,062) मिले। द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में कुल 64 फीसदी वोट मिले। जबकि विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में 36 फीसदी वोट आए। उधर, सूत्रों से जानकारी मिली है कि वोटिंग के दौरान 17 सांसदों और 126 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की।
विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने द्रौपदी मुर्मू को दी बधाई
विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने ट्वीट कर लिखा, “मैं राष्ट्रपति चुनाव 2022 में उनकी जीत पर द्रौपदी मुर्मू को दिल से बधाई देता हूं. मुझे और हर भारतीय उम्मीद है कि 15वें राष्ट्रपति के रूप में वह बिना किसी डर या पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करें. मैं देशवासियों के साथ उन्हें शुभकामनाएं देता हूं.”
निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी बधाई
निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश का नया राष्ट्रपति चुने जाने पर द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “द्रौपदी मुर्मू का भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.”
2000 और 2009 में बीजेपी की टिकट पर इलेक्शन लड़ बनीं विधायक
देश को 15वां राष्ट्रपति मिल गया है। इस फेहरिस्त में द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा की आपस में जोरदार टक्कर रही। इस टक्कर में आदिवासी मूल की महिला द्रौपदी मुर्मू को ही जीत मिली। आदिवासी मूल की 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओड़िशा में 20 जून, 1958 में हुआ था। आइए जानते हैं द्रौपदी मुर्मू के जीवन के बारे में:
बेटों और पति को खो चुकी है मुर्मू:
जैसा कि बताया गया कि द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था उनके दादा और पिता दोनों ही गांव के प्रधान रहे। उनका विवाह श्याम चरण मूम से हुआ था। इसके बाद इनके दो बेटे और एक बेटी हुए। मगर दुर्भाग्यवश दोनों बेटों और उनके पति तीनों का अलग-अलग हादसों में मौत हो गई थी। इसके बाद उनको काफी सदमा पहुंचा था। मगर कुछ दिन के बाद वह सदमें से उबर भी गईं। उनकी बेटी की शादी हो चुकी है और वर्तमान में भुवनेश्वर में ही रह रही हैं।
अध्यापिका के रूप में शुरू किया व्यावसायिक जीवन:
द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन शुरू किया। इसके बाद वह धीरे-धीरे राजनीति में आ गईं। द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत में पार्षद का चुनाव जीता। इसी के साथ उन्होंने बीजेपी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। इसके साथ वह बीजेपी की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मेंबर भी रही हैं। उन्होंने ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और विजयी भी रहीं। इस प्रकार वह दो बार विधायक भी रहीं। इसी दौरान ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और बीेजेपी गठबंधन की सरकार बनने पर उन्हें 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग मंत्री भी बनाया गया।
2015 में बनी झारखंड की राज्यपाल:
द्रौपदी मुर्मू मई 2015 में झारखंड की नौंवीं राज्यपाल बनाई गई। झारखंड उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल पद की शपथ दिलाई थी। इस समय उन्होंने सैयद अहम की जगह ली थी। इस तरह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का सौभाग्य भी द्रौपदी मुर्मू को ही मिला। वहीं पीएम मोदी को भी आदिवासी मूल की महिला को राष्ट्रपति पर नवाजने का श्रेय जाता है। ऐसे में बीजेपी ने एक राष्ट्रव्यापी संदेश भी दिया है कि वह केवल सत्तालोलुप ही नहीं है बल्कि समाज के सभी वर्गों का विशेष ध्यान रखती है।