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मुफ्त की चीजें बांटने का कल्चर हो खत्म, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिए अहम निर्देश
चुनाव के दौरान मुफ्त की चीजें बांटने का वादा करने वाली पार्टियों पर नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार से अपना रुख साफ करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और अगली सुनवाई 3 अगस्त को तय की है।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बेहद गंभीर मामला है। इसको लेकर सरकार आखिर इतना हिचक क्यों रही है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वित्त आयोग से इस विषय पर राय पूछकर कोर्ट को अवगत करवाने को कहा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में इसको लेकर मांग की गई है। याचिका के अनुसार ऐसे राजनीतिक दलों की मान्यता को रद्द कर देना चाहिए, जो चुनाव जीतने के लिए जनता को मुफ्त सुविधा देने का वायदे करते हैं। याचिका में ये भी कहा गया है कि राजनीतिक दल लोगों के वोट खरीदने की कोशिश करते हैं। जो कि चुनाव प्रक्रिया को दूषित करता है और सरकारी खजाने पर बेवजह बोझ का कारण बनता है। वहीं, आयोग के वकील का कहना था कि आयोग ऐसी घोषणाओं पर रोक नहीं लगा सकता है। केंद्र सरकार कानून बनाकर ही इससे निपट सकती है। दूसरी तरफ, केंद्र सरकार की ओर से तीन एएसजी के एम नटराज ने कहा कि ये मसला चुनाव आयोग के दायरे में आता है। इस पर चीफ जस्टिस एन वी रमना ने केंद्र सरकार की दलील पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इससे अपने आप को अलग नहीं कर सकती।
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