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Ganesh Chaturthi: क्यों चढ़ाई जाती है भगवान गणेश को दूर्वा, जानिए इसका महत्व
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी या गणेशोत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आप सभी जानते हैं कि गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है और विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। लेकिन दूर्वा के बिना गणेश जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए इनकी पूजा में दूर्वा जरूर चढ़ाएं। भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा का महत्व क्या है, इसके बारे में हम आप को आज बताने जा रहे हैं।
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पौराणिक कथा के अनुसार कनलासुर नाम के राक्षस के आतंक से देवी-देवता और ऋषि-मुनि परेशान थे। सभी देवता राक्षस से मुक्ति पाने के लिए समाधान के लिए भगवान गणेश के पास पहुंचे। गणेश ने अनलासुर को युद्ध में हराकर उसे निगल लिया। लेकिन राक्षक को निगलने के कारण भगवान के पेट में तीव्र और असहनीय जलन होने लगी थी। उनकी इस जलन को शांत करने के लिए मुनियों ने उन्हें दूर्वा की 21 गांठ खाने के लिए दी। इसे खाते ही भगवान गणेश के पेट की जलन शांत हो गई। तब से ही भगवान गणेश को दूर्वा प्रिय हो गई। इसलिए उनकी हर पूजा में दूर्वा चढ़ाई जाती है।
आप गणेश जी को अर्पित करने के लिए हमेशा साफ-सुथरी जगह से ही दूर्वा तोड़े। दूर्वा घास का जोड़ा बनाकर भगवान गणेश को चढ़ाया जाता है। आप 11 या फिर 21 दूर्वा घास का जोड़ा बनाएं और पूजा में इन मंत्रो का उच्चाण करते हुए उन्हें चढ़ाएं। ऊँ गं गणपतेय नम: ,ऊँ गणाधिपाय नमः , ऊँ उमापुत्राय नमः ,ऊँ विघ्ननाशनाय नमः ,ऊँ विनायकाय नमः , ऊँ ईशपुत्राय नमः , ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः , ऊँएकदन्ताय नमः , ऊँ इभवक्त्राय नमः, ऊँ मूषकवाहनाय नमः, ऊँ कुमारगुरवे नमः। ऐसा करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।