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SC की अहम टिप्पणी, समलैंगिक रिश्ते और लिव-इन रिलेशनशिप भी परिवार
लिव-इन रिलेशनशिप और समलैंगिक रिश्ते पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारिवारिक संबंध घरेलू, अविवाहित सहजीवन या समलैंगिक रिश्ते (Homosexual Relationships) के रूप में भी हो सकते हैं। ये रिश्ते भी कानून के तहत सुरक्षा के हकदार हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक इकाई के तौर पर परिवार की असामान्य अभिव्यक्ति उतनी ही वास्तविक है, जितनी की परिवार को लेकर पारंपरिक व्यवस्था। कोर्ट ने कहा कि समाज और कानून में परिवार की अवधारणा की प्रमुख समझ यह है कि इसमें एक मां और एक पिता और उनके बच्चों के साथ एक एकल, अपरिवर्तनीय इकाई होती है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने एक आदेश में कहा कि ये धारणा दोनों की उपेक्षा रहती है। कई परिस्थितियां जो किसी के पारिवारिक ढांचे में बदलाव ला सकती हैं। ये तथ्य कि कई परिवार इस अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं वो पारिवारिक संबंध घरेलू, अविवाहित सहजीवन या समलैंगिक संबंधों का रूप ले सकते हैं।
गौरतलब है कि साल 2018 में समलैंगिकता को शीर्ष अदालत की ओर से अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया था। इसके बाद से ही कार्यकर्ता एलजीबीटी के लोगों की शादी और सिविल यूनियन को मान्यता देने के साथ-साथ लिव-इन जोड़ों को गोद लेने की अनुमति देने के मुद्दे को उठा रहे हैं।