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हिमाचल हाईकोर्ट: 19 नवंबर को होगी पहाड़ों पर अंधाधुंध निर्माण से जुड़े मामले की सुनवाई
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) में पहाड़ों पर अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माण (Construction) से जुड़े मामले में सुनवाई 19 नवंबर को निर्धारित की गई है। पिछले आदेशों के मुताबिक इस मामले से जुड़े सभी आला अधिकारियों को हाईकोर्ट के समक्ष तलब किया था। अदालत के आदेशों की अनुपालन में आज मुख्य सचिव समेत प्रधान सचिव वन और निदेशक टीसीपी कोर्ट में पेश हुए। मामले को मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि कुमारहट्टी के समीप बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की जांच के लिए संयुक्त कमेटी का गठन किया गया है। अतिरिक्त उपायुक्त सोलन की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता, जिला वन अधिकारी और टाउन एंड कंट्री प्लानर (Town and Country Planner) को इसका सदस्य बनाया गया है। अदालत (Court) को बताया गया था कि इस कमेटी का गठन 20 सितंबर को किया गया था। अदालत को यह भी बताया गया था कि कुमारहट्टी क्षेत्र को नजदीकी प्लानिंग क्षेत्र में मिला, जाने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि इस बारे मंत्रीमंडल की ओर से अंतिम निर्णय लिया जाएगा। बड़ोग क्षेत्र नजदीक होने के कारण कुमारहट्टी को साडा बड़ोग में विलय करने की संभावना भी तलाशी जा रही है।
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उल्लेखनीय है कि पहाड़ियों पर बेतरतीब व अवैध निर्माणों के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से जवाब शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश दिए थे। मुख्य न्यायाधीश ए ए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पहाड़ों पर अवैध निर्माणों के मुद्दे को अतिमहत्वपूर्ण और गंभीर बताया। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह अपने जवाब शपथपत्र में यह भी स्पष्ट करे कि प्रदेश की कौन सी अथॉरिटी ने सोलन जिला के गांव खील झालसी से कोरों गांव को मिलाकर कैंथरी गांव तक के 6 किलोमीटर की सड़क के दोनो तरफ बहुमंजिला इमारतों को बनाने की अनुमति प्रदान की है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया था कि ऐसे बेतरतीब और अंधाधुंध निर्माणों को रोकने के लिए कोई निर्धारित नियम नहीं है। कोर्ट का मानना था कि पर्यावरण दृष्टि से संवेदनशील इलाके में यह इमारतें पहाड़ों को काटकर बनाई गई प्रतीत होती है। प्रार्थी कुसुम बाली ने याचिका में यह भी बताया है कि यह निर्माण गैरकानूनी है। इनसे पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकते हैं। कोर्ट ने प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी पहाड़ों को काटकर इन अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माणों को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों से अवगत करवाने के आदेश भी मुख्य सचिव को दिए थे। कोर्ट ने याचिका को विस्तार देते हुए इसे पूरे राज्य में पहाड़ों पर अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माण पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सम्बंधित आला अधिकारियों को कोर्ट के समक्ष तलब किया है।
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