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हिमाचल: जनजातीय क्षेत्रों में पहली बार आदि महोत्सव का आगाज, 15 दिन चलेगा कार्यक्रम
केलांग। भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति में पहली बार हिमाचल के जनजातीय क्षेत्रों में आदि महोत्सव मनाया जा रहा है। किन्नौर में इसका शुभारंभ सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) और लाहुल-स्पीति में तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ रामलाल मार्कंडेय (Dr. Ramlal Markandeya) ने किया। शनिवार को लाहुल की दुर्गम मयाड़ घाटी के तिंरगेट गांव में डॉ मार्कंडेय ने आदि महोत्सव का शुभारंभ किया। यह महोत्सव पूरे देशभर में 16 से 30 नवंबर तक मनाया जा रहा है। राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव के रूप में पूरे देश में मनाए जा रहे पखवाड़ा के आयोजन की श्रृंखला में जनजातीय विकास मंत्री डॉ. मार्कंडेय ने बिरसा मुंडा की स्मृति में आयोजित किए जा रहे महोत्सव में शिरकत की।
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मारकंडा ने कहा कि जनजातीय अधिकारों के संघर्ष में बिरसा मुंडा (Lord Birsa Munda) को जनजातीय समुदाय के नायक के रूप जाना जाता है। जनजातीय समुदाय में उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है। इस महोत्सव में लाहुल की हस्तशिल्प कला के लिए मशहूर ऊनी वस्त्रों, जुराब, टोपी, पट्टी, थोबी के साथ छरमा से बने उत्पादों का प्रदर्शनी भी लगाई गई।
इस मौके पर उरगोस महिला मंडल ने लोक नृत्य एवं लोकगीत की प्रस्तुतियां पेश कर मयाड घाटी समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन किया। रविवार को सलपट गांव में आदि महोत्सव होगा। मार्कंडेय ने कहा कि भारत सरकार की ओर छरमा प्रोसेसिंग के लिए 25 लाख स्वीकृत किए गए हैं। इससे तिंगरेट, केलांग, जिस्पा और उदयपुर में छरमा से बने उत्पादों के निर्माण के लिए यूनिटों की स्थापना की जाएगी। मार्कंडेय ने अपनी ऐच्छिक निधि से उरगोस महिला मंडल को 15000 रुपये की राशि प्रोत्साहन स्वरूप दी।
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