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हिमाचल में एसीसी सीमेंट फैक्टरी पर तालाः कर्मचारियों और कामगारों को काम पर ना आने का फरमान
बरमाणा एसीसी सीमेंट फैक्टरी पर ताला लगा दिया गया है और एसीसी प्रबंधन की ओर से कर्मचारियों और कामगारों को बुधवार से काम पर ना आने का फरमान जारी हुआ है। कर्मचारियों को थमाए गए नोटिस में लिखा कि जब तक हालात में सुधार नहीं आता तब तक काम पर ना लौटे और आदेश का इंतजार करे। सिर्फ आपातकालीन सेवाओं में सुरक्षा कर्मचारी , बिजली व पानी विभाग ही फैक्टरी में सेवाएं देगा। ये नोटिस एसीसी प्रबंधन की ओर से मंगलवार शाम पांच बजे सभी कर्मचारियों व अधिकारियों को वितरित कर दिए है। एसीसी प्रबंधन ने सभी से इस संबंध में सहयोग करने का अनुरोध किया है ।
फैक्टरी पर तालाबंदी से अब ट्रक परिवहन पर निर्भर बरमाणा से लेकर स्वारघाट तक छोटे-छोटे दुकानदार से लेकर बड़े व्यवसायियों पर भी असर पड़ेगा । जाहिर है एसीसी की गगल इकाई में 4000 ट्रकों के पहिए घूम रहे थे वहीं उनके साथ जुड़े ट्रक चालक व परिचालक तथा मैकेनिक के अलावा एसीसी में 300 कर्मचारी काम वहीं 900 कामगार कांट्रेक्टर के अधीन जुड़ा है।
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अडानी समूह पिछले कई दिनों से कर रहा था बात कि एसीसी की गगल इकाई में घाटे में चल रही है और सुधार के संकेत भी नजर नहीं आ रहे है।
जाहिर है 1984 से चल रही एसीसी की गगल इकाई को कुछ वर्ष पहले विदेशी कंपनियां होलसिम व लाफार्ज रन कर रही थी और अब यह अडानी समूह का हिस्सा बन गई हैं। एसीसी गगल सीमेंट इकाई से सीमेंट की ढुलाई कर रहे ट्रांसपोर्टरों को पिछले कई दिनों से सही सीमेंट ढुलाई का कार्य नहीं मिल रहा है। ऑपरेटरों का कहना है कि उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है और ट्रकों की लोन की किस्तें तथा परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा एसीसी कंपनी प्रबंधन को लेकर उन्हें इस बात की शिकायत थी कि कंपनी धीरे धीरे उनके काम को छीनकर बाहारी पार्टियों को दे रही है जोकि की सीधे तौर पर बीडीटीएस ट्रक ऑपरेटर्स और उनके परिवार का निवाला तक छीनने पर उतारू है । पहले एसीसी द्वारा 15000 मीट्रिक टन सीमेंट व क्लिंकर जिसमें 13000 मीट्रिक टन सीमेंट व दो हजार मीट्रिक टन क्लिंकर की डिमांड देने का अनुबंध था। पिछले दिनों बीडीटीएस यूनियन के सदस्यों व एसीसी प्रबंधन का आपस में समझौता भी हुआ था कि प्रतिदिन बीडीटीएस यूनियन के ट्रकों को 08 हजार मैट्रिक टन सीमेंट व 02 हजार मीट्रिक टन क्लिंकर दिया जायेगा परन्तु समझौते के अनुसार इन्हें सीमेंट व क्लिंकर नहीं दिया जा रहा था। बावजूद इसके एसीसी उससे आधे से भी कम डिमांड सभा को प्रदान कर रही है तथा इसमें भी लंबी दूरी की सारी डिमांड जो सभा को प्राप्त होती थी , वह नाम मात्र सभा को दी जा रही है। हिमाचल की सारी डिमांड लोकल डम्पों बग्गी , धनोटू ,उखली , ढाबन धामी , फतेहपुर तक सीमित कर दी गई है। सभी बड़े डम्पो पर सीमेंट की आपूर्ति बंद ही यानि के नाम मात्र रह गई है। इससे ऑपरेटरों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है और ट्रकों की लोन की किस्तें तथा परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो रहा है।