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दिवाली के दिन काजल बनाकर इसलिए लगाया जाता है आंखों में
आज दिवाली है तो सभी में उत्साह है। यहां तक दिवाली की विदेशों तक भी धूम है। दिवाली के दिन दीपमाला की जाती है। यह इसलिए की जाती है कि 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान श्री राम (Lord Shri Ram) अयोध्या लौट कर आए थे। इसी खुशी में लोगों ने दीपमाला की थी। तब से लेकर आज तक यही परंपरा निभाई जा रही है। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती है। वहीं रात को दीपक जलाकर काजल बनाकर भी लगाया जाता है। यह परंपरा (legacy) सदियों से ऐसे ही चली आ रही है। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है। आपके मन में भी यह प्रश्न तो आता ही होगा। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है।
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इसका जवाब यह है कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार काला काजल और टीका हमें बुरी नजर से बचाता है। यही कारण है कि दिवाली वाली रात दीपक से काजल बनाकर लगाया जाता है। माना जाता है कि ऐसी परंपरा सदियों से ही चली आ रही है। वहीं काजल लगाने के कुछ विज्ञानिक कारण भी हैं। दिवाली वाले दिन पटाखों से बहुत ज्यादा प्रदूषण (Pollution) हो जाता है। इस प्रदूषण का आंखों पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। ऐसे में काजल बनाकर लगाना बहुत ही लाभकारी होता है। मगर हमें केमिकल फ्री काजल ही हमें आंखों में लगाना चाहिए। अब हम आपको बताते हैं कि दिवाली वाली रात आखिर काजल कैसे बनाया जाता है। काजल बनाने के लिए सरसों का तेल, लंबी रूई, दो बड़े दीपक लें। सर्व प्रथम दीपक में बाती और सरसों का तेल डालकर उसे जला दें। इसके बाद दूसरा दीपक या प्लेट इस तरह से रखें कि जल रही लौ के ऊपर हो। आधा घंटा तक इसे ऐसे ही जलने दें। फिर इसे सावधानी पूर्वक उठा लें। अब आपको कालिख नजर आएगी। इस कालिख (soot) को आप किसी डिब्बी में रूई या कपड़े की मदद से निकाल लें। इसके बाद इसमें शुद्ध घी डाल दें। अब आपका काजल तैयार हो जाएगा। इस काजल को परिवार के सभी सदस्यों की आंखों में लगाना चाहिए। इसके साथ ही तिजोरी मुख्य द्वार आदि में भी काला टीका लगा दें।