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जल शक्ति विभाग के प्रमुख सचिव सहित इन अधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी
Last Updated on September 12, 2020 by saroj patrwal
शिमला। हाईकोर्ट (High Court) ने जल शक्ति विभाग के प्रमुख सचिव सहित विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ, अधीक्षण अभियंता, शिमला सर्कल और कार्यकारी अभियंता, सुन्नी डिवीजन, जिला शिमला को जमानती वारंट जारी कर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने ये आदेश तत्कालीन ट्रिब्यूनल द्वारा 23 अप्रैल 2019 को पारित आदेशों की अनुपालना ना करने के लिए गोविंद सिंह द्वारा दायर याचिका पर पारित किए। ट्रिब्यूनल ने जल शक्ति विभाग को आदेश दिए थे कि वह प्रार्थी को 60 वर्ष की आयु तक विभाग में सेवा करने दें। प्रार्थी ने प्रतिवादियों द्वारा उसका वेतन 12 फीसदी ब्याज सहित जारी करने का निर्देश देने की प्रार्थना की है। तत्कालीन ट्रिब्यूनल (Tribunal) को समाप्त करने के बाद, याचिका उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दी गई थी। विभाग के उत्तरदायी अधिकारियों को अनुपालना शपथपत्र दायर करने के लिए कई अवसरों के बावजूद दायर नहीं किया गया था। प्रतिवादियों को 10 सितंबर 2020 को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश भी दिया गया था। अनुपालना शपथ पत्र दाखिल करने में विफलता के मामले में उन्होंने ना तो स्पष्टीकरण (Explanation) दिया और ना ही व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। इसके अलावा उपस्थिति से छूट के लिए उनकी ओर से कोई आवेदन भी दायर नहीं किया गया था। न्यायालय ने पाया कि इन परिस्थितियों में प्रतिवादियों की उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए जमानती वारंट (Bailable Warrant) जारी करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। मामले पर सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी।
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झूठा शपथ पत्र दायर करने के मामले में कार्रवाई के निर्देश
हाईकोर्ट ने झूठा शपथ पत्र दायर करने के लिए प्रार्थी के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। प्रार्थी ने अपनी दूसरी जमानत याचिका में इस बाबत झूठा शपथ पत्र दायर किया था कि उसने इस अदालत या किसी अन्य अदालत के सामने उसी आधार पर किसी भी अन्य अग्रिम जमानत की अर्जी को दाखिल ना किया है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने ये आदेश जिला कांगड़ा के सुरेंद्र कुमार द्वारा अग्रिम जमानत देने के लिए दायर की याचिका पर पारित किए हैं। अभियोजन पक्ष के अनुसार प्रार्थी के खिलाफ 23 जून 2020 को जिला कांगड़ा (Kangra) के पुलिस थाना डमटाल में मादक पदार्थ रखने के आरोप के लिए आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। अभियोजन पक्ष द्वारा हा के समक्ष दायर स्टेटस रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ कि प्रार्थी ने पहले भी अग्रिम जमानत देने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, उक्त याचिका को एक अन्य खंडपीठ ने खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है। न्यायालय (Court) ने इस आधार पर जमानत याचिका को खारिज कर दिया कि प्रार्थी को अग्रिम जमानत देने का मुद्दा पहले से ही इस अदालत की समन्वय पीठ द्वारा निर्धारित है। जहां तक कि प्रार्थी ने इस बाबत गलत हलफनामा दायर किया है कि उसने उसी आधार पर कोई अन्य याचिका दायर नहीं की है का प्रश्न है उसके इस कथित आचरण के लिए उससे कानून के अनुसार निपटा जाएगा।