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बैंबू उत्पाद बन सकते हैं प्लास्टिक का विकल्प, लोगों को मिलेगा रोजगार, मजबूत होगी आर्थिकी
ऊना। हिमाचल में बांस से बने उत्पाद प्लास्टिक के उत्पादों (Plastic Product) का विकल्प बन सकते हैं। वहीं, बांस के उत्पाद (Bamboo Products) बनाने से स्थानीय लोगों की आर्थिकी में भी बढ़ोतरी होगी। यह बात शुक्रवार को ऊना जिला में भारत के बैंबू मैन के नाम से प्रसिद्ध महाराष्ट्र के पुणे के प्रसिद्ध व्यवसाई योगेश शिंदे ने कही। योगेश शिंदे ने जिला में बांस की खेती (Bamboo Cultivation) को बढ़ावा देने और बांस के उत्पादों की मार्केटिंग को लेकर इस व्यवसाय से जुड़े स्वयं सहायता समूहों और अन्य लोगों के लिए समर्थ ऊना (Una) के तहत आयोजित कार्यशाला में भाग लिया। यह कार्यशाला जिला प्रशासन के साथ-साथ कृषि, उद्योग और वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई। इस अवसर पर योगेश शिंदे ने बैंबू की खेती के फायदे स्थानीय लोगों को बताए और उसके साथ साथ आर्ट एंड क्राफ्ट से लेकर कारपोरेट जगत तक बांस के उत्पादों की महत्ता पर भी प्रकाश डाला।
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वर्कशाप की अध्यक्षता एडीसी डॉ अमित शर्मा ने की। कार्यक्रम के दौरान हिमाचल में तैयार होने वाले बांस के उत्पादों पर चर्चा की गई। योगेश शिंदे ने बताया कि फिलहाल हिमाचल (Himachal) में आर्ट एंड क्राफ्ट के तहत केवल हाथों से तैयार किए जाने वाले बांस के उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है। यदि यहां पर पुणे की तर्ज पर ऑटोमेटिक मशीनों की स्थापना की जाती है, तो बांस के उत्पादों को कॉर्पोरेट स्टैंडर्ड के मुताबिक तैयार किया जा सकता है। जिससे यहां के बैंबू प्रोडक्ट्स ना केवल देश के अन्य राज्यों पर कि विदेशों में भी धूम मचा सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान एडीसी डॉ अमित शर्मा ने कहा कि हिमाचल (Himachal) जैसे राज्य में बांस की खेती आसानी से की जा सकती है। बैंबू इंडिया मिशन के तहत हिमाचल में भी कॉरपोरेट जगत के लिए बांस के उत्पादों का निर्माण करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है। जिसके चलते यहां के बेरोजगार युवाओं को रोजगार (Jobs) और स्वरोजगार की दिशा में अग्रसर करने में काफी मदद मिलेगी। योगेश शिंदे ने बताया कि पूरी दुनिया में पॉलीथीन के बाद टूथब्रश बनाने में सबसे ज्यादा प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है और प्लास्टिक की रिसाइकलिंग आसान नहीं है। इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने बांस से टूथब्रश बनाकर मार्केट में उताराए जिसको अच्छा रिस्पांस मिला। उन्होंने कहा कि बांस के उत्पाद इको फ्रैंडली होते हैंए इनके पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है।
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