-
Advertisement
जानिए क्यों पावन है भीष्म पंचक, मनाने के पीछे क्या है कारण
भीष्म पंचक के दौरान पूजा-पाठ करना बड़ा ही शुभ माना जाता है। क्या आपको पता है कि भीष्म पंचक क्यों मनाया जाता है। यदि नहीं पता है तो हम आपको बताते हैं। यूं तो सनातन धर्म में पंचक लगना अशुभ माना जाता है (Panchak is considered inauspicious) । जब भी पंचक लगते हैं तब से शुभ और मांगलिक कार्यों पर पाबंदी लग जाती है। मगर दूसरी ओर ज्योतिषविदों (astrologers) का मानना है कि पंचक अशुभ नहीं होते। भीष्म पंचक और सामान्य पंचक में बड़ा अंतर है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि भीष्म पंचक बेहद खास और शुभ होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान व्रत और पूजा करने से शुभ फल मिलता है।
यह भी पढ़ें:देव उठनी एकादशी पर करेंगे ये उपाय तो बनी रहेगी भगवान विष्णु की कृपा
व्यक्ति की तमाम समस्याएं दूर हो जाती हैं। भीष्म पंचक कार्तिक शुक्ल एकादशी (Shukla Ekadashi) से शुरू होता है। इसके अतिरिक्त इस व्रत का समापन पूर्णिमा पर दान-स्नान के बाद ही होता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भीष्म पितामह भी व्रत किया था। इसलिए इसे भीष्म पंचक के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण (Lord Shree Krishna पांडवों को भीष्म पितामह के पास ले गए। उस समय भीष्म पितामह (Bhishma Pitamah शरशैया पर लेटे हुए थे। तब श्री कृष्ण जी ने उनसे पांडवों के लिए ज्ञान देने की बात कही। शरशैया पर होने के बावजूद उन्होंने भगवानी श्री कृष्ण का अनुरोध स्वीकार करते हुए पांडवों को राज धर्म, वर्ण धर्म और मोक्ष धर्म का अनमोल ज्ञान दिया। यह ज्ञान देने का सिलसिला एकादशी पूर्णिमा तक चलता रहा। भगवान श्रीकृष्ण ने पितामह से कहा कि आपने इन पांच दिनों में जो पांडवों का ज्ञान दिया है यह अवधि सबसे शुभ और मंगलकारी हो गई है। तब ये इन पांच दिनों को भीष्म पंचक के रूप में मनाया जाने लगा।