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मां लक्ष्मी के व्रत को करने से पूरी होंगी सारी इच्छाएं, जानें पूरे विधि-विधान
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) को विषेश स्थान प्राप्त है। मां लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। मान्यता है कि लक्ष्मी जी की कृपा से ही घर में खुशी व धन आता है और व्यक्ति की जिंदगी संवरती है। यह मां लक्ष्मी का व्रत 16 दिनों तक रखा जाता है। सभी महिलाएं लगातार इस व्रत को रखती हैं और पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना करती हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये व्रत 22 सितंबर 2023 से 6 अक्टूबर 2023 तक रखे जाएंगे। आइए जानते हैं व्रत (Fast) की पूजा विधि, महत्व, लाभ और नियम।
व्रत करने से घर में बनी रहती है सुख-समृद्धि
हिंदू पंचांग के अनुसार, भादो के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Fast) शुरू होते हैं और इनका समापन अश्विन मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होगा। इस व्रत को रखने का मुख्य कारण धन की देवी मां लक्ष्मी को खुश करना है। इन 16 दिनों के दौरान लक्ष्मी देवी की पूजा अर्चना और पाठ करने से घर में धन सुख और खुशी बनी रहती है। यदि कोई महा लक्ष्मी व्रत में पूरे 16 दिन व्रत नहीं कर सकता है तो वह शुरुआत के 3 व्रत या फिर आखिर के 3 व्रत भी रख सकता है।
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मां लक्ष्मी के व्रत का महत्व
अन्य व्रतों की तरह मां लक्ष्मी का यह व्रत भी हिंदु धर्म (Hindu Religion) में बेहद खास है। 16 दिनों के इस व्रत को पूरे विधि विधान से करके मनचाहा फल मिलता है। यह व्रत निर्जला तो नहीं होता किंतु व्रत के दौरान अन्न ग्रहण नहीं कर सकते। 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन करने की मान्यता है। महालक्ष्मी व्रत खासतौर पर विवाहीता महिलाएं अपने घर परिवार में सुख, शांति और धन धान्य से परिपूर्ण करने के लिए करती हैं। महा लक्ष्मी व्रत के नियमों का पालन करने से मां लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं।
माना जाता है कि लगातार 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत करने से भक्त को कभी भी दरिद्रता (Poverty) का सामना नहीं करना पड़ता है। महालक्ष्मी व्रत के दौरान स्तोत्र का जाप करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और धन-समृद्धि के द्वार खुलते हैं। व्रत करने से भक्तों को अपने सारे पापों से मुक्ति मिलती है और कष्ट दूर होते है। यदि किसी व्यक्ति को कोई माली नुकसान हुआ है या कंगाली में फंसा है तो महालक्ष्मी व्रत करने से उसकी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
महालक्ष्मी व्रत के नियम
महालक्ष्मी व्रत के दौरान लगातार 16 दिनों तक देवी लक्ष्मी की रोज़ सुबह पूजा करनी चाहिए। इस व्रत में महालक्ष्मी जी के सभी आठ स्वरूपों की भी पूजा करने की मान्यता है। धार्मिक (Religious) मान्यता के अनुसार व्रत करने वालों को बाएं हाथ में 16 गांठों वाली स्ट्रिंग पहननी होती है। लक्ष्मी जी की पूजा के पश्चात् सोलह दूर्वा घास की गांठ को पानी में डुबोकर शरीर पर छिड़कना चाहिए। मां लक्ष्मी पूजा के बाद में महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करें। महालक्ष्मी व्रत करने वाले लोगों को इन 16 दिनों के दौरान मांस मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के आखिरी दिन कलश की पूजा करने का मान्यता है। कलश के पानी में कुछ सिक्कों या अक्षत भर दें। कलश पर पान या आम के पत्ते रखकर ऊपर नारियल रखें और फिर चंदन, हल्दी और कुमकुम का लेप कलश पर लगाएं। कलश पर कोई भी नया कपड़ा बांधना चाहिए। महालक्ष्मी व्रत का पारण करने के लिए माता लक्ष्मी को प्रसाद में चढ़ाई हुई खीर से ही करें। महालक्ष्मी व्रत के दौरान खट्टी चीजों का सेवन न करें।