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बिना सबूत पति को शराबी और चरित्रहीन कहना क्रूरता : बाम्बे हाई कोर्ट
बिना सबूत (Without Evidence) पति को शराबी और क्रूर कहना क्रूरता है। एक सुनवाई के दौरान यह फैसला बाम्बे हाई कोर्ट ने सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई पत्नी बिना सबूत पति को शराबी या व्यभिचारी (drunkard or adulterer) कहती है तो इसे क्रूरता माना जाएगा। बाम्बे कोर्ट ने अपने फैसले में फैमिली कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें शादी को खत्म करने के बारे में बात कही गई थी। इस मामले में जस्टिस नितिन जामदार और शर्मिला देशमुख (Justice Nitin Jamdar and Sharmila Deshmukh) की डिवीजन बेंच ने 50 साल की महिला की याचिका भी खारिज कर दी है। इस याचिका में महिला पुणे के फैमिली कोर्ट का आदेश निरस्त करने की मांग उठाई थी। नवंबर 2005 में फैमिली कोर्ट ने आदेश सुनाया था। इस मामले में उक्त महिला की शादी एक आर्मी अफसर (Army Officer) से हुई थी। अभी हाई कोर्ट में मामला चल रही रहा था कि उसकी मौत भी हो गई थी।
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इस मामले में महिला की ओर से दावा किया गया था कि उसका पति शराबी और चरित्रहीन था। इस कारण उसे शादी के बुनियादी अधिकार नहीं मिल पाए थे। इस पर बैंच ने दलील दी कि महिला ने बिना सबूत ही अपने पति के चरित्र का हनन करने का प्रयास किया है। उसने अपने पति की समाज में छवि धूमिल की है। इसलिए यह मामला क्रूरता का बनता है (Case of Cruelty) । महिला ने लगाए आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया। वहीं उसके दिवंगत पति की ओर से किए वकील ने कहा कि वह इस तरह के आरोपों के चलते ही डिप्रेशन में चले गए थे। हाईकोर्ट ने कहा कि जब किसी शख्स को इस तरह से मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है तो वह साथ में रहने की हिम्मत ही नहीं कर पाता है। इसको क्रूरता की श्रेणी में ही रखा जाता है।