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लाहुल भूस्खलन: केंद्रीय जल आयोग और एनडीआरएफ टीम ने किया भूस्खलन वाली जगह का निरीक्षण
केलांग। लाहुल घाटी में चंद्रभागा नदी (Chandrabhaga River) में नालडा के समीप हुए भूस्खलन (Landslide) की जगह का आज केंद्रीय जल आयोग और एनडीआरफ (NDRF) की संयुक्त टीम ने निरीक्षण किया। इस टीम में केंद्रीय जल आयोग के निदेशक एनएन राय, केंद्रीय जल आयोग के शिमला स्थित निदेशक पीयूष रंजन, भारतीय सेना के कर्नल अरुण, सहायक आयुक्त डॉ रोहित शर्मा के अलावा एनडीआरएफ के अधिकारी भी शामिल रहे। डीसी लाहुल-स्पीति (DC Lahaul Spiti) नीरज कुमार ने बताया कि टीम ने शुरुआती निरीक्षण में यह पाया है कि भूस्खलन के बाद नदी में जो मलबा गिरा था उसमें से करीब 50 फ़ीसदी मलबा पानी के बहाव के साथ बह चुका है। इसके अलावा भूस्खलन वाली जगह पर मलबे का एक करीब 20 मीटर चौड़ा और 50 मीटर लंबा श्नेचुरल बेंचश् बन गया है। यानी यदि पहाड़ से कोई मलबा गिरता भी है तो उसकी मात्रा कम होगी और वह इस बेंच पर बैठ जाएगा।
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डीसी ने ये भी बताया कि भूस्खलन वाली जगह का इसरो के सेटेलाइट डाटा (Satellite Data) से भी अध्ययन किया जा रहा है। फिलहाल भूस्खलन वाली जगह पर 14 अगस्त की सेटेलाइट इमेज के तुलनात्मक अध्ययन में कोई बदलाव नजर नहीं आया है। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ की टीम कल फिर एक बार मौके पर जाकर जांच करेगी। डीसी ने कहा कि फिलहाल खतरे की कोई आशंका नहीं है। इसके बावजूद जिला प्रशासन द्वारा एक वैकल्पिक कार्य योजना पहले से ही तैयार की गई है और इसकी ड्रिल भी की जा चुकी है। यदि परिस्थिति में कोई अचानक बदलाव आता भी है तो जिला प्रशासन इस कार्य योजना के तहत नदी के किनारे वाले रिहायशी इलाके से लोगों को सुरक्षित जगह पर योजना के अनुसार अस्थाई पुनर्वास करेगा।
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