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शिमला। कैग की रिपोर्ट (CAG Report) ने हिमाचल सरकार (Himachal Goverment) की सबसे बड़ी पोल खोल कर रख थी। सरकार जनता के पैसों की फिजूलखर्ची कर रही है। इसके साथ ही ठेकेदारों की जेब गर्म की जा रही है। कई विभाग बजट होने के बावजूद तय मदों पर खर्च नहीं कर पा रहे हैं। इसका खुलासा सीएम जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) द्वारा मंगलवार को सदन में रखी गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है। कैग के मुताबिक जल शक्ति विभाग ने एक फर्म को 19.52 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ दिया है। यह लाभ कांगड़ा (Kangra) जिला में फिन्ना सिंह प्रोजेक्ट बनाने वाली फर्म को दिया गया है। फर्म को गैर मापित कार्य के लिए भुगतान किया गया है। फर्म को बिना किसी डर के स्टील कार्य और विचलन (डेविएशन) के दौरान उच्च दरों पर काम दिया गया। स्टील कार्य के लिए 1.72 करोड़ की जगह ठेकेदार (Contractor) को 10.97 करोड़ का भुगतान किया गया। पीडब्ल्यूडी द्वारा भी सड़क निर्माण पर 2.73 करोड़ का निष्फल व्यय किया गया, क्योंकि इसके लिए पहले वन मंजूरी नहीं ली गई और विस्फोटक सामग्री उपलब्ध कराने में देरी की की गई है।
राज्य सरकार के उपक्रम हिमाचल प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लिमिटेड ने तीन सालों के दौरान 41 परियोजनाओं का निष्पादन किया, जिनमें से 14 परियोजनाओं की कैग ने जांच की तो पता चला कि 6 परियोजना का काम अनुमोदन के 15 से 40 माह देरी से सौंपा गया। एक अनुबंध में कार्य सौंपे जाने के बाद विरोधाभासी प्रावधान एवं मूल्य विचलन खंड शामिल करने के कारण ठेकेदार को 12.25 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ दिया गया। एचपीटीसीएल (HPTCL) ने सड़क चौड़ा करने पर 2 करोड़ का अस्वीकृत भुगतान तथा वस्तु एवं सेवा कर पर 24.57 करोड़ रुपए का ऐसा भुगतान किया, जिसे टाला जा सकता था।
हिमाचल के प्रारंभिक शिक्षा विभाग (Education Department) ने 2016.20 के बीच वर्दी खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता का ध्यान नहीं रखा। निविदाएं आमंत्रित किए बगैर वर्दी के नमूनों की जांच का जिम्मा एक प्रयोगशाला को सौंपने से सरकार को 1.73 करोड़ की चपत लगी है। कैग ने सरकार को सुझाव दिया है कि भविष्य में स्कूली बच्चों को गुणवत्तायुक्त वर्दी उपलब्ध कराने, खरीद प्रक्रिया में सुधार, जांच अवधि शामिल करने, वर्दी के कपड़े की आपूर्ति समय पर सुनिश्चित बनाने तथा नमूनों का परीक्षण समयबद्ध सुनिश्चित करने को कहा है। इसी तरह विभाग की लापरवाही से वर्ष 2018.19 में स्कूली छात्रों को निःशुल्क वर्दी (Free Uniform) उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। वर्ष 2016-18 एवं 2019-20 के बीच वर्दी देने में 1 से 11 माह तक की देरी हुई है। 2016-20 तक 200 विद्यार्थियों को सिलाई के पैसे ही नहीं दिए गए।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग बजट उपलब्ध होने के बावजूद प्रदेश के पांच अस्पतालों में ट्रॉमा सेंटरों (Trauma Centers) का निर्माण नहीं कर पाया, जबकि विभाग के पास इसके लिए 10.61 करोड़ की राशि लंबित रही। कैग के मुताबिक अस्पताल प्रबंधन के पास 7.81 करोड़ का बजट अढ़ाई साल से पौने पांच साल तक खर्च नहीं किया जा सका। ट्रॉमा सेंटर का निर्माण टांडा, मंडी, हमीरपुर, चंबा और रामपुर में किया जाना था।
राज्य सरकार के उपक्रम हिमाचल प्रदेश बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम द्वारा ऑटोमेशन प्रोजेक्ट (Automation Project) पर 7.82 करोड़ की फिजूलखर्ची की गई है। इसका प्रयोग नहीं किया जा सका है। कैग के मुताबिक अभी 2-74 करोड़ रुपए की देयता इस प्रोजेक्ट की बाकी है।
हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम (Himachal Pradesh Forest Development Corporation) द्वारा अकुशल श्रमिकों से पूरा काम लिए बगैर उन्हें पूरा भुगतान किया गया। इससे निगम को 80.84 लाख की चपत लगी है। राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा भी जरूरत से अधिक सामान स्टाक करने से 1.40 करोड़ रुपए का अतिरिक्त व्यय किया गया।
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