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उपचुनाव: फतेहपुर में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए उम्मीदवार चुनना हुआ मुश्किल
फतेहपुर। हिमाचल प्रदेश (Himachal) में उपचुनाव बीजेपी (BJP) के लिए अलार्म की तरह है। वहीं, कांग्रेस (Congress) इसे जनता के मूड के हिसाब से मान कर चल रही है कि अगर इस उपचुनाव में एंटी इन्कम्बेंसी की बयार बही तो आगामी विधानसभा चुनाव में उसकी जीत तय है। यकीनन दोनों पार्टियों के लिए यह कटु सत्य है, लेकिन एक सत्य यह भी है कि दोनों पार्टियों की प्रदेश स्तर की इकाई इस विधानसभा सीट को लेकर एक नाम फाइनल नहीं कर पाई है। दोनों पार्टियों की तरफ से कई नेताओं ने दावेदारी की जोर आजमाइश की है।
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आधी आबादी पर नजर
कांग्रेस से रीता गुलेरिया और भाजपा से रीता ठाकुर का नाम पैनल में शामिल है। रीता गुलेरिया हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश सचिव पद पर है। जबकि रीता ठाकुर जिला महिला बीजेपी मोर्चा के उपाध्यक्ष पद आसीन हैं। इधर, बीजेपी और कांग्रेस की नजर उपचुनाव में आधी आबादी के पूरे वोट पर टिकी है। जिस तरफ महिलाओं का झुकाव हुआ, नतीजा उन्हीं के पक्ष में आएगा। इसलिए दोनों पार्टियां चाह कर भी दोनों नेताओं को अनदेखा नहीं कर पा रही है। वहीं, दोनों नेताओं के प्रदेश और केंद्रीय स्तर के नेताओं संग करीबी मानी जाती है। वहीं, फतेहपुर बीजेपी में रीता ठाकुर के अलावे भी दो नेता ऐसें हैं, जिनमें पार्टी के भीतर ही सियासी पेंच तगड़ा फंसा हुआ है।
2017 में बागी हुए थे बलदेव
जब 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष कृपाल परमार को फतेहपुर सीट से टिकट मिता तो खुद सीट पर भाजपाई ने बागवती सुर दिखाए। फतेहपुर से बीजेपी के नेता बलदेव ठाकुर आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा। जिसके चलते बीजेपी को फतेहपुर की सीट कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया के हाथों गंवानी पड़ी। जमीनी हकीकत की माने तो इस बार भी वही कहानी दोहराई जा सकती है।