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देवता बनाड़ व देवता देशमौली से जुड़ा विवादः हाईकोर्ट ने मध्यस्थ नियुक्त करने के दिए आदेश
शिमला। देवता बनाड़ और देवता देशमौली जी को पुजारली में ही रोके जाने से जुड़े विवाद को मध्यस्थता से निपटाने के लिए प्रदेश हाईकोर्ट ने मध्यस्थ की नियुक्ति करने के आदेश पारित किए। इस मामले को आपसी समझौते से निपटाने की कोशिश करने की पहल करते हुए न्यायाधीश विरेंदर सिंह ने इस मामले से जुड़े सभी पक्षकारों की उपस्थिति में वरिष्ट अधिवक्ता एससी शर्मा और एक अन्य प्रशिक्षित मध्यस्थ की नियुक्ति के आदेश जारी किए। रोहडू के शराचली और जुब्बल तहसील के 6 गावों में आगमन पर रोक से जुड़े मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। 300 वर्षों से अधिक चली आ रही पुरानी ब्रांशी परंपरा के खिलाफ देवता बनाड़ और देवता देशमौली को रोहडू के शराचली क्षेत्र के पुजारली गांव मंदिर में ही रोके जाने के मामले में हाईकोर्ट ने एसडीएम रोहडू व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रोहडू शिमला के आदेशों पर रोक लगाने के आदेश पारित किए थे। एसडीएम रोहडू ने प्रत्येक वर्ष रोटेशन आधार पर शराचली क्षेत्र के 7 गावों में इन देवताओं की पूजा अर्चना में बाधा उत्पन्न करने वाले लोगों को पुरानी परंपरा में दखल देने से रोकने के आदेश दिए थे।
300 वर्षों से अधिक चली आ रही पुरानी ब्रांशी परंपरा
मामले के अनुसार शराचली क्षेत्र के 7 गांव झराशली अथवा झगटान, रोहटान, मंडल, जखनोर पुजारली, थाना, शील अथवा तुरन, और ढाडी घूंसा के तीन आराध्य देवता देवता क्यांलू महाराज, देवता बनाड़ और देवता देशमौली हैं। देवता क्यांलू महाराज जी का एक स्थाई मंदिर पुजारली में है। शराचली और जुब्बल तहसील के कई गांवों के लाखों लोगों की देवता बनाड और देवता देशमौली के लिए अटूट आस्था है। एसडीएम के पास शिकायत कर्ताओं के अनुसार देवता बनाड़ और देवता देशमौली क्षेत्र के सभी गावों में रोटेशन आधार पर हर एक गांव में एक एक वर्ष के लिए जाते रहे हैं। इस परंपरा को ब्रांशि कहा जाता है। जब भी ये देवता प्रत्येक गांव में बने अपने मंदिर में आते हैं तो एक उत्सव का माहौल बनता है और सभी लोग देवता के आगमन को उनका आशीर्वाद समझते हैं। हाईकोर्ट ने मामले में विवादित पहलुओं को देखते हुए इसे आपसी समझौते से निपटाने पर जोर देने की बात कही।
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