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लाहुल में देवी-देवताओं के लौटने पर मंदिरों में पूजा-अर्चना शुरू, लोगों ने मनाई खुशी
लाहुल। जनजातीय क्षेत्र लाहुल (Lahaul) घाटी में सर्दी के मौसम में त्योहारों की धूम रहती है। हालडा, फागली (Fagali), गोची कई तरह के त्योहार है, जो लाहुल घाटी के लोग बड़ी उत्साह के साथ मनाते है। बर्फबारी (Snowfall) में किसी तरह के खेत खलिहान का काम तो रहता नहीं है। ऐसे में लाहुल के लोग सर्दी के त्योहारों को मनाकर समय व्यतीत करते हैं। इसमें जहां आपसी भाईचारे का मेल मिलाप व अपनी पुरातन संस्कृति (Ancient Culture) को बरकरार रखने का सुअवसर प्राप्त होता है। पट्टन घाटी में फागली समापन के बाद चंद्रा घाटी के रोपसंग गांव में पूणा का दूसरा दिन लम्होई (Lamhoi) मनाया गया।
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इसमें सिस्सू पंचायत के दूरदराज से लोग रोपसंग पहुंचे। देवी-देवताओं (Gods and Goddesses) के कपाट खुलने के बाद ग्रामीण एक-दूसरे से मिलने पहुंचे, वहीं देवताओं के स्वर्ग प्रवास से लौटने पर ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। आज लम्होई के अवसर पर ग्रामीणों ने विधि विधान से देवी भोटी तथा अन्य देवी देवताओं की पूजा-अर्चना की।
सिस्सू पंचायत प्रधान राजीव (Sisu Panchayat Pradhan Rajeev) ने बताया कि पूणा के बाद घाटी के अन्य त्योहार 16 को फेची, 18 को किंचा, 21 तारीख को जगदंग में कोरतूम होगा। 22 को जगदंग में पापुना होगाए 23 फरवरी को लम्होई और राजा घेपन के गुर द्वारा भविष्यवाणी, 24 को रंग रंग मी क्योरभी, और पलदन लामो शाची होगा। इसके बाद ग्रामीण अपने पाने खेत खलिहानों (Farm Barns) का भी रुख करेंगे और पर्यटन गतिविधियां भी चलाई जाएगी।
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