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यहां पीरियड्स होने पर लड़की को नहीं मानते अछूत, मनाई जाती है खुशी
पहला पीरियड आने पर हर लड़की के दिल में यही डर होता है कि उसे एक तय जगह तक सीमित कर जिया जाएगा। कई दिनों तक घर से दूर रहने को कहा जाएगा। इतना ही नहीं ठीक से कुछ खाने को भी नहीं दिया जाएगा और अच्छा बर्ताव भी नहीं किया जाएगा। ये सब पढ़कर हैरानी हो रही है ना, लेकिन ये सब सच है। हमारे भारत में कई ऐसी जगह हैं जहां पीरियड्स (Periods) होने पर महिलाओं से भेदभाव किया जाता है। वहीं, भारत में एक राज्य ऐसा भी है, जहां लड़की के पहले पीरियड्स पर खुशी मनाई जाती है।
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हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु की। तमिल नाडु एक ऐसा शहर है, जहां लड़की के पहले पीरियड्स को एक त्योहार की तरह मनाया जाता है। तमिलनाडु में पीरियड्स के इस त्योहार को मंजल निरातु विजा कहा जाता है। इस दौरान लड़कियों को ये बात समझाई जाती है कि अब उनके जीवन में एक नया सफर शुरू हो चुका है और अब वे महिला बनने की ओर आगे बढ़ रही हैं। इस त्योहार पर बकायदा कार्ड छिपवा कर सभी रिश्तेदारों को बुलाया जाता है और बहुत बड़ा समारोह आयोजित किया जाता है। इस दौरान लड़की का चाचा नारियल, आम और नीम की पत्ती से एक झोपड़ी बनाता है, जिसे कुदिसाई कहते हैं। फिर इस झोपड़ी में लड़की के लिए काफी सारे स्वादिष्ट पकवान रखे जाते हैं। इसके अलावा एक धातु की झाड़ू के साथ झोपड़ी को साफ किया जाता है।
इस त्योहार के दौरान लड़की को हल्दी के पानी से नहलाया जाता है। इस समारोह में घर की सभी महिलाएं शामिल होती हैं। ये महिलाएं लड़की को अच्छे से हल्दी से नहलाती हैं। इसके बाद लड़की को रेशम की साड़ी पहनाती हैं और फिर गहने भी पहनाती हैं। इस त्योहार पर लड़की को बिल्कुल दुल्हन की तरह सजाया जाता है और उसे शगुन व उपहार भी दिए जाते हैं। इसके बाद ये त्योहार पुण्य धनम से खत्म होता है। 9 वें, 11वें और 15वें पर ये विधि पूरी की जाती है। इसके बाद झोपड़ी को तोड़ दिया जाता है और छोटी सी पूजा की जाती है।
ये होते हैं पीरियड्स
पीरियड्स या माहवारी एक सामान्य प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है। पीरियड्स को माहवारी, महीना, रजोधर्म, मेंस्ट्रुअल साइकिल या एमसी आदि नाम से जाना जाता है। औरतों के अंदर उनके शरीर में हार्मोन के बदलाव की वजह से योनि (वजाइना) से रक्तस्राव होता है। इसे पीरियड्स कहते हैं।