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Viral audio case: रिटायरमेंट के दिन ही जमानत पर रिहा हुए पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डॉ गुप्ता
Last Updated on May 30, 2020 by saroj patrwal
शिमला। हिमाचल प्रदेश में लाखों के लेनदेन से जुड़े वायरल ऑडियो मामले ( Viral Audio Case) में आरोपी निलंबित स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता ( Dr. Ajay Kumar Gupta) को आज कोर्ट ( Court) ने जमानत दे दी है। जिला और सत्र न्यायाधीश (वन) शिमला के स्पेशल जज अरविंद मल्होत्रा की अदालत ने उन्हें सशर्त जमानत दे दी है। कोर्ट ने आरोपी को 2 लाख सिक्योरिटी और 2 लाख पर्सनल मुचलका भरना होगा। साथ ही कोर्ट ने आरोपी को ये भी आदेश दिए हैं कि वह न तो मामले की जांच को प्रभावित करे और न ही किसी गवाह से बात करे। जांच एजेंसी द्वारा आवश्यक होने पर उसे जांच में शामिल होना होगा। इसके अलावा डॉ. गुप्ता की आज स्वास्थ्य विभाग से रिटायमेंट( Retirement) भी है। हालांकि विजिलेंस की ओर से गुप्ता के 5 दिन के रिमांड की मांग की गई थी लेकिन जिला सत्र न्यायाधीश ने ये कह कर उनकी मांग को ख़ारिज कर दिया कि 10 दिनों में उन्होंने गुप्ता से क्या पूछताछ की। इसे लेकर वे शाम तक वे विजिलेंस को समय दे सकते है। ऑडियो क्लिप के अलावा विजिलेंस के पास गुप्ता के ख़िलाफ़ क्या सबूत है। इस पर विजिलेंस कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। थोड़ी देर ब्रेक लेने के बाद सत्र न्यायाधीश ने अजय गुप्ता को ज़मानत दे दी।
जाहिर है आरोपी डॉ. अजय कुमार गुप्ता की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई आज यानी 30 मई तक के लिए टाल दी थी। आरोपी गुप्ता के वकील कश्मीरी सिंह ठाकुर की ओर से जिला एंव सत्र न्यायालय में पिछले मंगलवार को जमानत याचिका दाखिल की गई थी और उस पर आज सुनवाई हुई। इसी बीच 2 दिन पहले बीच सीएम आफिस की ओर से विजिलेंस मुख्यालय को एक पत्र लिखा गया था। इसमें कहा गया कि सरकार डॉ. गुप्ता को सेवा विस्तार देने की कोई मंशा नहीं रखती थी। हालांकि पहले यह कहा जा रहा था कि बीजेपी के एक बड़े नेता ने सरकार से सेवाविस्तार की सिफारिश की थी।
याद रहे कि डॉ. गुप्ता को ऑडियो वायरल होने के बाद में विजिलेंस ने 20 मई की रात को गिरफ्तार किया था। इसके बाद गुप्ता खराब स्वास्थ्य के चलते आईजीएमसी में भर्ती रहे। 25 मई सोमवार को उन्हें कैथू जेल शिफ्ट किया गया था। 26 मई को उन्हें जिला सत्र न्यायाधीश ने 5 तीन के पुलिस रिमांड पर भेजा था। इसी बीच बीजेपी अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल को इसी मामले में इस्तीफ़ा भी देना पड़ा था