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हाई कोर्ट में वाटरसेस के विरोध को लेकर दायर याचिकाओं पर 30 को एक साथ होगी सुनवाई
शिमला। हाईकोर्ट के समक्ष वाटर सेस के विरोध को लेकर भारत सरकार के उपक्रमों और निजी विद्युत कंपनियों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई एक साथ होगी। बुधवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि दोनों ही कंपनियों ने हिमाचल प्रदेश वाटर सेस अधिनियम को चुनौती दी है। दोनों ने ही अधिनियम को असंवैधानिक करार दिए जाने की गुहार लगाई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने इन मामलों की सुनवाई 30 मई को निर्धारित की है।
राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों का नहीं कर रही पालन
एनटीपीसी, बीबीएमबी, एनएचपीसी और एसजेवीएनएल ने दलील दी है कि केंद्र और राज्य सरकार के साथ अनुबंध के आधार पर कंपनियां राज्य को 12 से 15 फीसदी बिजली मुफ्त देती हैं। इस स्थिति में हिमाचल प्रदेश वाटर सेस अधिनियम के तहत कंपनियों से सेस वसूलने का प्रावधान संविधान के अनुरूप नहीं है। अदालत को बताया गया कि 25 अप्रैल 2023 को भारत सरकार ने पाया कि कुछ राज्य भारत सरकार के उपक्रमों पर सेस वसूला जा रहा है। भारत सरकार ने राज्य के सभी मुख्य सचिवों को हिदायत दी थी कि भारत सरकार के उपक्रमों से वाटर सेस ना वसूला जाए। आरोप लगाया गया है कि इसके बावजूद राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों की अनुपालना नहीं कर रही है। इससे पहले प्रदेश में निजी जल विद्युत कंपनियों ने भी हिमाचल प्रदेश वाटर सेस अधिनियम को चुनौती दी है। निजी जल विद्युत कंपनियों ने आरोप लगाया गया है कि पनबिजली परियोजना पर वाटर सेस लगाया जाना संविधान के प्रावधानों के विपरीत है।
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