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शिमला। लाखों रुपये का गबन करने के बावजूद दोषी को न्यूनतम सजा दिए जाने पर हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने कृषि निदेशालय से स्पष्टीकरण मांगा है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश चंद्रभूसन बारोवालिया की खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि नियोक्ता अर्थात कृषि निदेशालय (Directorate of Agriculture) इस विषय पर दृढ़ निष्कर्ष पर पहुंचा था कि याचिकाकर्ता ने एक बड़ी राशि का गबन किया था। दोषी ने बिक्री से होने वाली आय के 26,69,447/- रुपये का गबन करने के बाद अपने वरिष्ठ अधिकारियों के बार-बार निर्देश के बावजूद भी इस राशि को सरकारी कोषागार में जमा नहीं करवाया। फिर भी कृषि निदेशक ने याचिकाकर्ता पर बड़ा जुर्माना लगाने के बजाय केवल परीनिंदा यानी सेंसुअर जैसी मामूली सजा दी।
खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट (Court) यह समझने में असफल रही हैं कि विशेष रूप से सिद्ध कदाचार या गबन के मामले में परीनिंदा का आदेश पारित करने के लिए कृषि निदेशक की शक्ति या प्राधिकार का क्या स्त्रोत था। न्यायालय ने कृषि निदेशक (Director of agriculture) को सुनवाई की अगली तारीख पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने आदेश दिए। हालांकि खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने इस मामले की खूबियों पर कोई राय व्यक्त नहीं की है और केवल रिकॉर्ड के आधार पर इस आदेश को पारित किया गया है। मामले पर आगामी सुनवाई 18 मई को होगी।
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