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हिमाचल विधानसभा: सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित; 8 बिल पास, 106 % कामकाज
शिमला। हिमाचल विधानसभा का मॉनसून सत्र (Monsoon Session Of Himachal Vidhan Sabha) सोमवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित (Sine A Die) हो गया। 18 सितंबर से शुरू हुए सत्र में विधानसभा की कार्यवाही 36 घंटे 38 मिनट तक चली। इस दौरान सरकार की ओर से 8 बिल सदन में पेश किए गए, जो पारित हुए। इस तरह राज्य विधानसभा में इस बार 106 फीसदी (106 percent Performance) काम हुआ।
यह रहा कामकाज का हिसाब
स्पीकर कुलदीप पठानिया ने बताया कि मॉनसून सत्र में कुल 743 तारांकित और अतारांकित प्रश्न पूछे गए। नियम 61 के तहत कुल 8 विषयों और नियम 62 के तहत 5 विषयों पर चर्चा हुई। नियम 102 के तहत एक सरकारी संकल्प पारित किया गया। इसमें प्रदेश पर आई आपदा को लेकर तीन दिन तक चर्चा चली। चर्चा में पक्ष और विपक्ष के 52 विधायकों ने भाग लिया और अंत में हिमाचल सरकार ने आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित (National Calamity) करने की मांग के साथ हिमाचल को 12 हजार करोड़ की विशेष आर्थिक मदद (Special Package) देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया। नियम 130 के तहत तीन विषयों पर चर्चा हुई और सदन में कुल 8 विधेयक पारित (8 Bills Passed) हुए। भांग की खेती को वैध करने को लेकर कमेटी की रिपोर्ट सदन में रखी गई। राज्य की आर्थिक स्थिति को लेकर जारी श्वेत पत्र पर डिप्टी सीएम ने सदन में अपना वक्तव्य दिया।
श्वेत पत्र झूठ का पुलिंदा: जयराम
नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार की तरफ से विपक्ष की आवाज को दबाने का पूरा प्रयास हुआ! बावजूद इसके, विपक्ष ने सरकार को हर मुद्दे पर घेरा। सरकार का श्वेत पत्र झूठ का पुलिंदा है। इसे बीजेपी पूरी से खारिज करती हैं। श्वेत पत्र (White Paper) में जो आरोप लगाए गए हैं वह कांग्रेस की गारंटी की तरह झूठे हैं। आपदा में केंद्र सरकार ने हिमाचल का पूरा सहयोग किया है और आगे भी केन्द्र सरकार हिमाचल को हरसंभव मदद करेग।
विपक्ष के सवालों का जवाब देने की पूरी कोशिश की: हर्षवर्धन
संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि 7 दिन की कार्यवाही में विपक्ष की तरफ से जो भी सवाल और मुद्दे उठाए गए, सरकार ने उनका जवाब देने की पूरी कोशिश की है। हर मुद्दे पर डिटेल चर्चा सदन के भीतर हुई है। सरकार की तरफ से आपदा को लेकर 3 दिन तक विस्तृत चर्चा हुई, जिसके बाद सरकार ने प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा है। हिमाचल को राष्ट्रीय आपदा प्रभावित राज्य घोषित करने की मांग के साथ ही 12 हजार करोड़ रूपए की वित्तीय सहायता मांगी गई है। इसके अलावा कई महत्वपूर्ण विधेयक भी सदन में पारित किए गए हैं, जिसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे।