-
Advertisement
जयंती विशेष : अंतिम समय में Dr. YS Parmar के बैंक खाते में 563 रुपए 30 पैसे थे
Last Updated on August 4, 2020 by Sintu Kumar
पहाड़ी प्रदेश आज हिमाचल निर्माता और अपने पहले सीएम डॉ यशवंत सिंह परमार (Dr. Yashwant Singh Parmar) की 114 वी जयंती मना रहा है। सिरमौर रियासत में महाराज के वरिष्ठ सचिव शिवानंद सिंह भंडारी के घर चार अगस्त 1906 को यशवंत सिंह का जन्म हुआ था। स्थानीय स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद नाहन (Nahan) से दसवीं की और फिर बीए के लिए लाहौर चले गए, लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की। यहां से उन्होंने डॉक्ट्रेट की और द सोशल एंड इक्नॉमिक बैक ग्राउंड ऑफ द हिमालयन पॉलिएड्री विषय पर किताब लिखी। शिक्षा पूर्ण करने के बाद डॉ. यशवंत सिंह परमार सिरमौर आ गए, जहां उन्हें रियासत का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। बाद में अपने एक फैसले के कारण उन्हें न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देना पड़ा और फिर कामकाज के लिए वह अपने भाई के साथ लाहौर चले गए, वहां दोनों भाइयों ने ठेकेदारी शुरू की। बाद में जब देश और प्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम जोर पकड़ चुका था, वर्ष 1939 को शिमला के पास धामी गोलीकांड हुआ।
यह भी पढ़ें: डॉ परमार को सीएम जयराम की श्रद्धांजलि, की ये बड़ी घोषणा
इसी वर्ष लुधियाना मे अखिल भारतीय स्तर पर रियासतों का एक सम्मेलन हुआ, जिसमें प्रजामंडल की स्थापना की गई और शिमला हिल स्टेट्स प्रजा मंडल का भी गठन हुआ। परमार इसमें सक्रिय रूप से शामिल हो गए। 25 जनवरी, 1948 को शिमला के गंज बाजार मे प्रजा मंडल का सम्मेलन हुआ, जिसमें यशवंत सिंह की मुख्य भूमिका रही और यहां से प्रस्ताव पारित हुआ कि पहाड़ी क्षेत्रों मे रियासतें नहीं होनी चाहिए, इसे अलग प्रांत बनाया जाए। 28 जनवरी को सोलन में रियासती मंडल बनाने का प्रस्ताव पारित कर इसे हिमाचल का नाम अनुमोदित किया गया। डॉ वाईएस परमार हिमाचल (Himachal) को पूर्ण राज्य बनाना चाहते थे, वर्ष1952 में प्रदेश का पहला चुनाव हुआ, जिसमें हिमाचल निर्माता पहले सीएम बने। नवंबर 1966 मे पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को मिलाकर हिमाचल का गठन हुआ। वर्ष1967 मे डॉ यशवंत तीसरी बार सीएम (CM) बने। 25 जनवरी, 1971 को उनकी मेहनत रंग लाई और तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने भारी बर्फबारी के बीच स्वयं यहां आकर शिमला के रिज मैदान से हिमाचल को पूर्ण राज्य (State Hood) का दर्जा प्रदान करने की घोषणा की। दो मई 1981 को उनका निधन हो गया।
अंतिम समय में भी उनके बैंक खाते में महज 563 रुपये 30 पैसे थे। सीएम बनने के बाद भी उन्होने कोई मकान नहीं बनवाया, ना ही कोई वाहन खरीदा। आज डॉ यशवंत सिंह परमार की 114वीं जयंती के अवसर पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, सीएम जयराम ठाकुर, जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, विधायक धनीराम शांडिल, विनय, आशीष बुटेल, राकेश सिंघा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने रिज पर उनकी प्रतिमा के सामने श्रद्धासुमन अर्पित किए।