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वन विभाग और नगर निगम मिलकर शिमला को बंदरों, कुत्तों से निजात दिलाएं
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला नगर निगम (Shimla MC) और वन विभाग से आपस में मिलकर शहर को बंदरों और आवारा कुतों के आतंक (Monkeys And Stray Dogs In Shimla) से निजात दिलाने की उम्मीद जताई है। कोर्ट ने इस संबंध में पालमपुर कृषि यूनिवर्सिटी के सुझाए उपायों पर विचार करने के बाद यह उम्मीद जताई है।
इससे पहले नगर निगम शिमला ने 6 सितम्बर को जारी आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि डॉक्टर जीसी नेगी कॉलेज ऑफ वेटनरी एंड एनिमल साइंसेज विभाग कृषि यूनिवर्सिटी पालमपुर (Palampur) के विशेषज्ञों की कमेटी का गठन किया है, जो कुत्तों और बंदरों की समस्या से निपटने के लिए सुझाव देंगे। कोर्ट ने इस कमेटी की सुझाव संबंधी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश भी दिए थे। हाईकोर्ट ने प्रदेश भर के शहरों और ग्रामीण इलाकों में बंदरों के उत्पात और आवारा कुत्तों के आतंक से बचाव से जुड़े मुद्दों को लेकर लंबित जनहित याचिकाओं में केन्द्र सरकार के स्वामित्व वाले पशु कल्याण बोर्ड को पक्षकार बनाया था। मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई 6 नवम्बर को निर्धारित की है।
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सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि यूनिवर्सिटी से इनपुट साझा कर बंदरों के उत्पात को नियंत्रित और कुतों के आतंक को दूर करने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। कोर्ट ने यह आदेश विभिन्न जनहित याचिकाओं (PIL) की सुनवाई करने के पश्चात पारित किए। पिछली सुनवाई को कोर्ट ने एडवोकेट जनरल को सलाह दी थी कि वे अन्य निकायों जैसे कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम से भी परामर्श कर सकते हैं।