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पेड़ की एक भी शाखा को बिना कानूनी अधिकार के काटा नहीं जायेगा: हिमाचल हाईकोर्ट
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने सक्षम अधिकारियों द्वारा पेड़ों को काटने के लिए दी गई सभी वैध अनुमतियों पर लगी रोक हटा दी है। गौरतलब है कि कोर्ट ने अपने पिछले आदेशो में पेड़ों को काटने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने हालांकि निर्देश दिया कि कोई भी पेड़ और किसी पेड़ की एक भी शाखा को बिना किसी कानूनी अधिकार (Legal Right) के किसी भी परिस्थिति में नहीं काटा जाएगा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये आदेश पारित किए।
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पेड़ काटने के संबंध में पीआईएल दाखिल
याचिकाकर्ता ने एमसी के अधिकार क्षेत्र में स्वस्थ हरे पेड़ों की अवैध कटाई व वन संरक्षण अधिनियम, नगर निगम अधिनियम, सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और एनजीटी द्वारा पारित निर्देशों के उल्लंघन के मुद्दे को उजागर किया है। साथ ही याचिकाकर्ता ने असंख्य पेड़ों की कटाई के लिए दी गई अनुमतियों को रद्द करने, अधिकारियों को हरे पेड़ों की अवैध कटाई की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने, कोर्ट की अनुमति के बिना भविष्य में अनुमति देने से रोकने के लिए प्रार्थना की है। न्यायाधीश रवि मलीमठ की पीठ ने सुनवाई करते हुए 5 मई को पारित आदेशों में हिमाचल प्रदेश के विद्युत विभाग को दी गई अनुमतियों को छोड़कर, पेड़ों की कटाई की सभी अनुमतियों पर रोक लगा दी थी।
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मामले पर अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद
हालांकि, राज्य ने अंतरिम आदेश के संशोधन के लिए आवेदन दायर किया है। जिसमें कहा कि मानसून का मौसम अपने चरम पर है। खतरनाक पेड़ों के उखड़ने की संभावना है। जिससे जानमाल का नुकसान हो सकता है। इसपर कोर्ट ने कहा कि न्यायालय ने कहा कि 5 मई के अंतरिम आदेश को केवल उन पेड़ों के संबंध में पढ़ा जाना है, जो अवैध रूप से या बिना किसी अनुमति के काटे जा रहे हैं। वह हमेशा उक्त आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के लिए स्वतंत्र है। आकस्मिक मामलों पर विचार करने के बाद, संबंधित क़ानून के प्रावधानों के तहत अनुमति प्रदान की गई है। इसलिए अंतरिम आदेश में संशोधन की जरूरत है। कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया कि जब तक कानून में ऐसा करने की वैध अनुमति न हो, तब तक वह किसी भी तरह से पेड़ों को न काटें। अब इस मामले पर अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद मुकरर्र की गई है।
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