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#Budget Session: 7वें वेतन आयोग को करें इंतजार, लागू नहीं होगा 85वां संशोधन
शिमला। हिमाचल में सातवें वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) को लागू करने का फिलहाल सरकार का कोई विचार नहीं है। वर्तमान में इस प्रकार को कोई भी प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है। यह जानकारी हिमाचल विधानसभा (Himachal Vidhan Sabha) के बजट सत्र (Budget Session) में श्री नैना देवी के विधायक रामलाल ठाकुर के लिखित सवाल के जवाब में सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने दी। किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी के सवाल के जवाब में सीएम जयराम ठाकुर ने जानकारी दी है कि वर्ष 2013 में हिमाचल में 85वें संविधान के संशोधन (Amendments of the 85th Constitution) के प्रावधानों को लागू ना करने का निर्णय लिया गया है। जगत सिंह नेगी ने सवाल पूछा था कि सरकार ने प्रदेश में 85वें संविधान संशोधन के प्रावधानों को एससी/एसटी (SC/ST) कर्मचारियों के हित के लिए लागू किया है। जवाब देते हुए सीएम जमराम ठाकुर ने बताया कि राज्य सेवाओं में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के समग्र प्रतिनिधित्व के दृष्टिगत सरकार द्वारा अक्टूबर, 2013 में 85वें संविधान के संशोधन के प्रावधानों को प्रदेश में लागू ना करने का फैसला लिया है।
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वहीं, नादौन के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू (MLA Sukhwinder Singh Sukhu) ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) में कार्यरत ऑपरेशनल स्टाफ (Operational Staff) वर्ग को छठे वेतन की अदायगी को लेकर लिखित सवाल पूछा था। सवाल के जवाब में सीएम जयराम ठाकुर ने बताया कि 1 जनवरी 2006 से देय वेतनमान 27 सितंबर की अधिसूचना द्वारा लागू किया गया था। यह संशोधित वेतनमान पदों पर आधारित था। इस अधिसूचना में ऑपरेशनल स्टाफ वर्ग को शामिल नहीं किया गया था, जिस कारण उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पाया। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम में कार्यरत सभी अन्य वर्गों के कर्मचारियों को 1 जनवरी 2006 से देय वेतनमान प्रदान कर दिया गया है। ऑपरेशनल स्टाफ की मांग पर यह मामला सेवा समिति (Service Committee) से उठाया गया है। श्री नैना देवी के विधायक रामलाल ठाकुर के एक और लिखित सवाल के जवाब में तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ रामलाल मार्कंडेय ने बताया कि सरकार तकनीकी शिक्षा विभाग के संविदात्मक कर्मचारियों के लिए आईएमसी (IMC) तथा एसडब्ल्यूएफ (SWF) संविदात्मक नीति में संशोधन करने का विचार नहीं रखती है। साथ ही इंस्ट्रक्टर, ट्रेनर्स, क्लर्कों और अन्य अधिकारियों को सम्मिलित करने के लिए संविदात्मक नीति में संशोधन अथवा नई नीति बनाने का भी सरकार को कोई प्रस्ताव नहीं है।