-
Advertisement
इन फूलों को देखने के लिए दुनिया भर से पहुंचते हैं लोग, 12 साल में खिलते हैं एक बार
बगिया में खिले रंग-बिरंगे फूल भला किसे अच्छे नहीं लगते। फूलों के देख मन प्रसन्न हो जाता है। यूं तो फूलों की असंख्य प्रजातियां है पर क्या आप ने कभी नीलकुरिंजी के फूलों के बारे में सुना। अगर नहीं तो आज हम उन फूलों के बारे में आप को बताने जा रहे हैं। नीलकुरिंजी के फूल 12 साल में सिर्फ एक बार खिलते हैं। इन फूलों की खास बात यह है कि ये सिर्फ भारत में ही खिलते हैं। नीलकुरिंजी मुख्यतः केरल में ही खिलते हैं। केरल के साथ-साथ तमिलनाडु में भी इन फूलों की खूबसूरती देखने को मिल जाती है। यहां पर दुनियाभर के कई सैलानी सिर्फ नीलकुरिंजी को देखने के लिए लाखों रुपये खर्च करके आते हैं। लेकिन, राज्य में कोरोनावायरस के मौजूदा हालात को देखते हुए यहां सैलानियों के भ्रमण पर पूर्णतः रोक लगाई गई है।
यह भी पढ़ें :- यहां एक हजार रुपए में मिलती है एक कप चाय, जानिए क्या है इसकी खासियत
इन दिनों केरल का इडुक्की जिला एक बार फिर नीलकुरिंजी के फूलों से गुलजार है। इडुक्की जिले के संथानपारा पंचायत के अंतर्गत आने वाली शालोम पहाड़ी इन दिनों नीलकुरिंजी फूलों की चादर ओढ़े केरल की प्राकृतिक खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं। इन फूलों को देखने के लिए 12 साल का इंतजार करना पड़ता है।इनके फूलने का समय अगस्त में आरंभ होता है और यह अक्टूबर तक रहता है। ये फूल खिलने के बाद जल्दी ही मुरझा भी जाता है. एक बार मुरझाने के बाद इसे दोबारा खिलने में 12 साल का लंबा समय लग जाता है। इस साल के बाद अब अगली बार इसकी खूबसूरती साल 2033 में देखने को मिलेगी। नीलकुरिंजी या ‘स्ट्रोबिलांतेस कुंतियानम’ की 40 प्रजातियां पाई जाती हैं, उनमें से ज्यादातर नीले रंग की होती है। ‘नील’ का शाब्दिक अर्थ है ‘ब्लू’ और कुरिंजी नाम इस क्षेत्र के आदिवासियों द्वारा दिया गया नाम है।