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नौसेना दिवस विशेष: जब INDIAN NAVY ने तबाह कर दिया था कराची बंदरगाह,
नई दिल्ली। आज नौसेना दिवस है। आज हम आपको भारतीय नौसेना की वो शौर्य गाथा सुनाने जा रहे हैं, जो आपके रौंगटे खड़े कर देगा। नेवी की सादी जर्सी देखकर बाजुओं में जान भर देगा और गर्व से सीना चौड़ा हो जाएगा।
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4 दिसंबर भारत के इतिहास में बेहद खास है। यही वह दिन है जब पाकिस्तानी नौसेना के हौसले और याह्या खान के अरमान पस्त हो गए। यही वह तारीख है जिसने बंग्लादेश मुक्ति संग्राम में जीत की वह बुनियाद डाली, जिसके बाद एक नए देश का जन्म हुआ।
सन 1971 में जब बांग्लादेश के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था। तब 25 नवंबर को पाकिस्तान में आपातकाल का ऐलान कर दिया गया। इसको देखते हुए भारत ने अपनी सुरक्षा को मजबूत करते हुए जंगी जहाजों और सबमरीन को पाकिस्तान के नेवल बेस पर नजर रखने और किसी भी बिगड़े हालात में तुरंत कार्रवाई करने के लिए तैयार रखा था।
जंग की शुरूआत तब हुई जब पाकिस्तान ने अंबाला, आगरा और कानपुर में एयर अटैक कर दिया। इसके साथ ही पाकिस्तान की एयर फोर्स ने पश्चिम से सटे भारतीय इलाकों में बमबारी शुरू कर दी। जिसके बाद भारतीय नौ सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन ट्राइडेंट चलाया।
शुरूआती दौर में इंडियन नेवी को भारी नुकसान उठाना पड़ा। पाकिस्तानी सबमरीन हंगोर के हाथों भारतीय नौसेना को झटका लगा। भारत के दो जंगी जहाज डूब गए। आईएनएस कृपाण और आईएनएस खुकरी पाकिस्तानी नौ सैनिक हमले में तबाह हो चुके थे। आईएनएस खुकरी के कप्तान महेंद्र नाथ मुल्ला ने अपने जहाज के साथ ही बिना किसी भय के जलसमाधि ले ली थी। बाद में उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से भी नवाजा गया था।
यही नहीं पाकिस्तानियों का इरादा तो भारतीय विमानवाहक पोत आईएनएस को डूबने का भी था और इस मकसद को पूरा करने के लिए उसने गाजी को हमला करने के लिए कराची बेस से रवाना किया। लेकिन RA&W ने भारतीय नौसेना को इसकी जानकारी दे दी। जिस कारण भारतीय नौ सैनिक अधिकारी पहले ही सतर्क हो गए थे। और गाजी को जल समाधि देने के लिए उनके पास एक प्लान भी था।
वहीं, गाजी को डूबने के बाद अब बारी कराची नेवल यार्ड की थी। इस टास्क की जिम्मेदारी 25वीं स्क्वॉर्डन के कमांडर बबरू भान यादव को दी गई थी। 4 दिसंबर, 1971 को नौसेना ने कराची स्थित पाकिस्तान नौसेना हेडक्वार्टर पर पहला हमला किया था। एम्यूनिशन सप्लाई शिप समेत कई जहाज नेस्तनाबूद कर दिए गए थे। इसमें पाकिस्तान के कई ऑयल टैंकर भी नष्ट कर दिए गए थे। इस युद्ध में पहली बार भारत ने एंटी शिप मिसाइल का इस्तेमाल किया था। प्लान के तहत भारतीय नौसैनिक बेड़े को कराची से 250 किमी की दूरी पर तैनात किया गया था। अंधेरा होने पर बेड़े को आगे बढ़ना था और 150 किमी दूर तैनात होना था। इसकी वजह एक ये भी थी कि उस वक्त पाकिस्तान के पास रात में हमला करने वाले विमान नहीं थे। वहीं दिन में भारतीय सबमरीन का पता उनके राडार लगा सकते थे। प्लान के मुताबिक भारतीय नौसेना को कराची पर हमला कर हर हाल में रात में ही वापस आना था।
रात 9 बजे के करीब भारतीय नौसेना के आईएनएस निपट, आईएनएस निर्घट और आईएनएस वीर ने आगे बढ़ना शुरू किया। यह सभी मिसाइलों से लैस थे। रात 10:30 पर कराची बंदरगाह पर पहली मिसाइल दागी गई। 90 मिनट के भीतर पाकिस्तान के 4 नेवी शिप डूब गए। 2 बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और कराची बंदरगाह आग की लपटों में घिर गया। कराची तेल डिपो में लगी आग की लपटों को 60 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता था। कराची के तेल डिपो में लगी आग को सात दिनों और सात रातों तक नहीं बुझाया जा सका।
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