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बुजुर्गों की ऐसे मदद करता है सीनियर सिटीजन एक्ट, जानिए खासियत
Last Updated on August 22, 2022 by sintu kumar
हमारे देश में बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है। वर्तमान में भारत में 13.8 करोड़ बुजुर्ग हैं। देश में बुजुर्गों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इतना ही नहीं उनके अधिकारों के लिए बाकायदा कानून भी बनाए गए हैं। आज हम आपको सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 (Senior Citizen Act 2007) के बारे में बताएंगे। ये एक्ट बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें पावरफुल बनाता है।
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बता दें कि 60 वर्ष या उससे अधिक की उम्र के लोग सब सीनियर सिटीजन एक्ट के दायरे में आते हैं। ये लोग कभी भी इस एक्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं। आमतौर पर हम देखते हैं कि बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो जमीन, जायदाद अपने नाम करवाने के बाद अपने बुजुर्गों की सेवा नहीं करते हैं। ऐसे मामले में बुजुर्ग सीनियर सिटीजन एक्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ये है सीनियर सिटीजन एक्ट 2007
अगर किसी बुजुर्ग की सेवा नहीं की जा रही है या उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा है तो वे सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 की मदद ले सकते हैं। दरअसल, सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 बुजुर्गों के साथ ऐसे मामलों को रोकने और उनके भरण-पोषण के लिए लागू किया गया था। बुजुर्गों को आर्थिक रूप से मजबूती, मेडिकल सिक्योरिटी और प्रोटेक्शन देने के लिए ये कानून लाया गया।
क्या होता है फायदा
बुजुर्ग इस एक्ट के जरिए बच्चों पर मेंटेनेंस का दावा कर सकते है, इनमें बेटा-बेटी और पोता-पोती भी शामिल हैं। हालांकि, ध्यान रहे कि कोई भी बुजुर्ग नाबालिग पर मेंटेनेंस का दावा नहीं कर सकते हैं। वहीं, अगर किसी बुजुर्ग के बच्चे हैं और उनकी प्रॉपर्टी उनके रिश्तेदार इस्तेमाल कर रहे हैं तो बुजुर्ग उन रिश्तेदारों पर देखभाल का दावा कर सकते हैं।
शिकायत कर सकते हैं दर्ज
बता दें कि देश के हर राज्य में ऐसे मामलों के लिए एक स्पेशल ट्रिब्यूनल (Special Tribunal) का गठन किया गया है। इस ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता सब-डिविजनल अधिकारी करता है। बुजुर्ग अपनी शिकायत सब-डिविजनल अधिकारी को कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें सब-डिविजनल अधिकारी (एसडीओ) के दफ्तर में जाना होगा और नाम, एड्रेस और जरूरी जानकारी के साथ आवेदन देना होगा। इसके बाद शिकायत की सुनवाई के दौरान बच्चों को कोर्ट बुलाया जाता है।
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