-
Advertisement
शुरुआत में लिज्जत पापड़ से हुआ था 50 पैसे मुनाफा, आज करोड़ों में पहुंचा टर्नओवर
भारत में शायद ही कोई होगा कि जिसने लिज्जत पापड़ (Lijjat Papad) के बारे में नहीं सुना होगा। लिज्जत पापड़ का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है। लिज्जत पापड़ मशीन से नहीं बल्कि हाथ से तैयार किए जाते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि लोगों के पसंदीदा लिज्जत पापड़ की शुरुआत कब और कैसे हुई। सात महिलाओं की एक मीटिंग से शुरू हुआ लिज्जत पापड़ महिला सशक्तिकरण का नायाब उदाहरण है।
यह भी पढ़ें:आसानी से नहीं तैयार होता है पेपर, यहां जानें कागज बनने का पूरा प्रोसेस
बता दें कि लिज्जत पापड़ की शुरुआत 1959 में हुई थी। बताया जाता है कि मुंबई (Mumbai) के गिरगांव में लोहाना निवास की छत पर सात गुजराती महिलाएं ने इस बात के लिए मीटिंग की कि खाली वक्त का इस्तेमाल करके पैसे कैसे कमाए जाएं। इसी दौरान सभी ने तय किया कि वे पापड़ बनाकर बाजार में बेचेंगी। इसके बाद सब महिलाओं ने किसी तरह से 80 रुपए जुटाए और बेसन, मसाले आदि चीजें खरीद लाईं। महिलाओं ने पहले दिन चार पैकेट पापड़ तैयार किए और पास के स्टोर में जाकर बेच आईं। महिलाओं को पहले दिन 50 पैसे और दूसरे दिन एक रुपए का मुनाफा हुआ।
गुणवत्ता सुधारने का किया काम
साल 1959 में महिलाओं ने पापड़ की बिक्री से कुल 6 हजार रुपए कमाए और उस समय ये रकम काफी बड़ी होती थी। इन महिलाओं को समाजसेवी छगन बप्पा का साथ मिला। छगन बप्पा ने महिलाओं की पैसों में थोड़ी मदद की और इन महिलाओं ने मार्केटिंग या प्रचार की बजाय पापड़ की गुणवत्ता सुधारने में उन पैसों का इस्तेमाल किया।
मिला अन्य महिलाओं का साथ
इसी बीच इन सात महिलाओं के साथ और भी महिलाएं जुड़ने लगीं। इसके बाद इन सात महिलाओं ने एक को-ऑपरेटिव सोसाइटी रजिस्टर करवा ली, जिसका नाम श्री महिला गृह उद्योग रखा गया।
नहीं बनाया गया कोई मालिक
बताया जाता है कि पापड़ बनाने की शुरुआत करने के 3-4 महीने में ही इन सात महिलाओं के साथ 200 से ज्यादा महिलाएं जुड़ गईं। इसके बाद उन्होंने वडाला में एक ब्रांच खोली, लेकिन शुरुआत से ही उन्होंने इस को-ऑपरेटिव सोसाइटी का कोई मालिक नहीं बनाया। मालिकाना हक महिलाओं के समूह के पास ही रहा।
मशहूर हुई ये पंचलाइन
90 के दशक में पापड़ के विज्ञापन की पंचलाइन चाय कॉफी के संग भाए, कर्रम कुर्रम-कुर्रम कर्रम/ मेहमानों को खुश कर जाए, कर्रम कुर्रम-कुर्रम कर्रम/ मजेदार, लज्जतदार, स्वाद स्वाद में लिज्जत-लिज्जत पापड़! काफी मशहूर हुई।
दमदार स्वाद का राज
पापड़ बनाने के लिए उड़द की दाल म्यांमार, हींग अफगानिस्तान से मंगाई जाती है, काली मिर्च केरल और अन्य मसाले भारत से मंगवाए जाते हैं।
हर जगह एक जैसा स्वाद
खास बात ये है कि पूरे भारत में इस पापड़ का स्वाद एक जैसा ही रहता है। बताया जाता है कि महिलाएं अलग-अलग सेंटर से आटा उठाती हैं और फिर पापड़ तैयार करके सेंटर पर जमा करवा देती हैं। हर जगह पापड़ की क्वालिटी एक जैसी रहे इसके लिए कंपनी के अधिकारी केंद्रों के दौरे भी करते रहते हैं और लेबोरेटरी में भी स्वाद की जांच करवाई जाती है।
ऐसा है संस्था का अनुशासन
श्री महिला गृह उद्योग संस्था में काम करने वाली महिलाओं को बहन कह कर संबोधित किया जाता है। यहां काम सुबह 4.30 बजे शुरू हो जाता है। इस दौरान महिलाओं का एक समूह आटा गूंथता है और दूसरा समूह इसे एकत्र करता है। इसके बाद फिर घरों में पापड़ बेल कर तैयार किए जाते हैं और फिर ये पापड़ ब्रांच में पहुंचा दिए जाते हैं। इन महिलाओं को आवाजाही के लिए मिनी-बस की सुविधा दी जाती है। इस पूरी कार्य प्रणाली की निगरानी मुंबई की 21 सदस्यीय केंद्रीय प्रबंधन कमेटी करती है।
करोड़ों रुपए का टर्नओवर
बता दें कि भारत में आज लिज्जत पापड़ के 17 राज्यों में 60 से ज्यादा सेंटर हैं। लिज्जत पापड़ ने 45 हजार से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दिया है। सात महिलाओं की मीटिंग से शुरू होने वाला लिज्जत पापड़ को बनाने वाली महिलाओं की संख्या अब 45 हजार हो गई है और इसका टर्नओवर 1600 करोड़ पहुंच चुका है।