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वायु सेना की तरह नौ सेना में भी होते हैं पायलट, ऐसे करते हैं काम
भारतीय सेना के जवान देश की रक्षा के लिए भारत की सीमा पर डटे रहते हैं। भारतीय सेना (Indian Army) के जवान जमीन, पानी और हवा में भारत की सीमा की सुरक्षा करते हैं। भारतीय सेना के तीन विंग होते है, जल सेना, थल सेला और वायु सेना। भारतीय नेवी सेना में एयरफोर्स की तरह पायलट होते हैं। इन पायलट का काम मिशन के आधार पर होता है।
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नेवी पायलट शिप पर रहते हैं जबकि एयरफोर्स के पायलट एयर बेस कैंप में रहते हैं। नेवी पायलट का काम ज्यादातर कार्गो प्लेन से संबंधित होता है और वह समुद्री सीमा में ऑपरेशन को अंजाम देते हैं। वहीं, एयरफोर्स के पायलट एयर टू एयर फाइट में ऑपरेशन को अंजाम देते हैं। एयरफोर्स के पायलट और नेवी के पायलट को मिशन के आधार पर तैयार किया जाता है। एयरफोर्स के पायलट और नेवी के पायलट की ट्रेनिंग काफी अलग होती है. नेवी के पायलट की पोस्टिंग विमान वाहक पर होती है इसलिए उन्हें आस-पास के सभी रिजन में ऑपरेशन को अंजाम देना पड़ता है। नेवी के पायलट को किसी भी मिशन के लिए तेज रिएक्ट करना पड़ता है। जबकि एयरफोर्स के पायलट अपने क्षेत्र के एयर बेस में तैनात रहते हैं और उन्हें एक्शन लेने में समय लगता है। उन्हें उसी हिसाब से ट्रेनिंग दी जाती है।
नेवी पायलट को विमान वाहक से लैंडिंग और टेकऑफ को अंजाम देना होता है। नेवी पायलट का काम मुश्किल हो जाता है। माना जाता है कि किसी जमीन में प्लेन को लैंड करवाने से ज्यादा मुश्किल विमान वाहक पर लैंड करवाना होता है। इसके लिए उन्हें उसी हिसाब से ट्रेनिंग दी जाती है। एयरफोर्स के पायलट बड़े विमान से ऑपरेशन को अंजाम देते हैं। जबकि नौ सेना के पायलट विमान वाहक के डेक पर टेकऑफ और लैंडिंग के लिए छोटे विमानों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। नेवी में हेलीकॉप्टर का ज्यादा इस्तेमाल होता है।