-
Advertisement
तप का आचरण करने वाली देवी है मां ब्रह्मचारिणी
शास्त्रों में मां ब्रह्मचारिणी को मां दुर्गा का विशेष स्वरूप माना गया है। नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से तप, शक्ति ,त्याग ,सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि होती है और शत्रुओं को पराजित कर उन पर विजय प्रदान करती हैं। पौराणिक कथाओं में मां ब्रह्मचारिणी को महत्वपूर्ण देवी के रूप में माना गया है। मां ब्रह्मचारिणी नाम का अर्थ तपस्या और चारिणी यानि आचरण से है। मां ब्रह्मचारिणी को तप का आचरण करने वाली देवी माना गया है।
मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में तप की माला और बांए हाथ में कमण्डल है। धार्मिक मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में तप त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम प्राप्त होता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। जीवन की सफलता में आत्मविश्वास का अहम योगदान माना गया है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त होने से व्यक्ति संकट आने पर घबराता नहीं है।
पूजा की विधि: शुक्रवार को प्रात: उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल पर विराजें। मां दुर्गा के इस स्वरूप मां ब्रह्माचिरणी की पूजा करें। उन्हें अक्षत, फूल, रोली, चंदन आदि अर्पित करें। मां को दूध, दही, घृत, मधु और शक्कर से स्नान कराएं। मां ब्रह्मचारिणी को पान, सुपारी, लौंग भी चढ़ाएं। इसके बाद मंत्रों का उच्चारण करें। हवनकुंड में हवन करें साथ ही इस मंत्र का जाप करते रहें।
ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
यह भी पढ़ें:सौभाग्य और शांति का प्रतीक मां शैलपुत्री का स्वरूप
हिमाचल और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए join करें हिमाचल अभी अभी का Whats App Group