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पोप के जूते पर होता है सोने का क्रास, ये पोशाक पहनकर नहीं करते हैं धार्मिक कार्य
देश-विदेश में लोग अलग-अलग तरह की पोशाक पहनते हैं। हर एक पोशाक की अपनी एक खासियत होती है। बात करें अगर वेटिकन सिटी के पोप की तो पिछले 2000 सालों से पोप की पूरी पोशाक खास रही है। पोप की तरह कैथोलिक समुदाय में दूसरा कोई धर्मगुरु वैसी पोशाक नहीं पहनता है। पोप की पोशाक और पहनावे के कारण उनको कहीं भी पहचाना जा सकता है।
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पोप की पोशाक को आधिकारिक तौर पर द पपल रैगलिया कहा जाता है। इन तीन शब्दों से उनकी पूरी पोशाक परिभाषित होती है। इस पूरी पोशाक में सात हिस्से होते हैं, जिन्हें मिलाकर ही द पपल रैगलिया बनता है। जब कोई व्यक्ति पोप नियुक्त होता है तो उनको ताज पहनाया जाता है। पोप के सिर पर जो मुकुट नुमा होता है उसे मित्रे कहा जाता है। मित्रे को खूबसूरत तरीके से सजा कर रखा जाता है। मित्रे पोप की सत्ता और उनके प्रभाव को दर्शाता है। दुनिया में केवल पोप ही इस ताज को पहनते हैं। हालांकि पोप के साथ कार्डिल्स और बिशप को ऐसा ताज पहनने की अनुमति है।
वहीं, पोप का स्टोल एक चार इंच चौड़ा और 80 इंच लंबा कपड़ा होता है। इस कपड़े पर खूबसूरत काम किए गए होते हैं। आमतौर पर यह कपड़ा सिल्क का बना होता है। जिस पर क्रिश्चन धर्म के प्रतीक बने होते हैं. क्रास का निशान प्रमुखता से बना रहता है। पोप हमेशा कैस्सॉक पोशाक पहनते हैं। यह पोशाक घुटने के नीचे तक होती है। समय के साथ कैस्सॉक की स्टाइल बदलती रही है, लेकिन यह अभी भी पोप की सबसे अहम पोशाक में शामिल है। पोप ज्यादातर इसी पोशाक में रहते हैं. इस पोशाक का रंग सफेद होता है। पोप ये पोशाक पहनकर धार्मिक कार्य नहीं करते हैं।
पोप के सिर ढकने के लिए टोपी नुमा यह पोशाक को जुचेट्टो कहते हैं। कैथोलिक समुदाय में जुचेट्टो के रंग से धर्मगुरु के रैंक का पता चलता है। उच्च रैंक वाले धर्मुगुरुओं के सामने नीचे के रैंक वाले धर्मगुरुओं को अपनी जुचेट्टो हटानी पड़ती है। जुचेट्टो का कपड़ा आमतौर पर सिल्क का होता है। इसमें कपड़े के आठ टुकड़े को जोड़कर गोल बनाया जाता है। पोप के गले में लपेटे जाने वाले स्टोल की तरह की इस पोशाक को पल्लियम कहा जाता है। इसे बिल्कुल अलग तरीके से पहना जाता है। इसका एक हिस्सा पीठ की तरफ और दूसरा हिस्सा आगे सीने से लटका होता है। इसकी चौड़ाई करीब दो इंच की होती है।
पोप की पोशाक का सबसे अहम हिस्सा मोजेटा होता है। यह आमतौर पर स्टोल से जुड़ा रहता है। यह कुहनी तक पहना जाता है। पोप इसे आमतौर पर सामूहिक प्रार्थना सभा में पहनते हैं। ये पांच रंगों में आता है और मौसम के अनुसार इसके रंग चुने जाते हैं। पोप जो लाल रंग के लेदर के जूते पहनते हैं उन्हें पपल शू कहा जाता है। ये जूते लाल मोरोक्को लेदर से बनाए जाते हैं। इन जूतों पर गोल्ड का काम किया होता है। जूते पर सोने का क्रास बनाया गया होता है।
बता दें कि अभी कुछ दिनों पहले ही भारत के पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की वेटिकन सिटी के पोप से मुलाकात हुई थी। पीएम नरेंद्र मोदी की पोप के साथ हुई मुलाकात के बाद भारत में भी पोप के खूब चर्चे हैं। पीएम मोदी ने पोप को भारत आने का न्योता दिया, जिसे पोप ने स्वीकार भी कर लिया था।
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