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धर्मशाला। हिमाचल में अब मिड डे मील वर्कर्ज (Mid day meal workers) को मानदेय के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। उनका मानदेय समय पर जारी किया जाएगा। वहीं, प्रदेश सरकार ने हिमाचल के प्राइमरी और मिडल स्कूलों में कार्यरत 20,889 मिड डे मील वर्कर्ज को चार माह का बकाया मानदेय भी जारी कर दिया है और इसे एसएमसी तक पहुंचा दिया गया है। एसएमसी ने भी मिड डे मील वर्कर्ज को इसका वितरण शुरू कर दिया है। यह जानकारी सोमवार को शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर (Education Minister Govind Singh Thakur) ने धर्मशाला में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में नियम 62 के तहत माकपा के विधायक राकेश सिंघा द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में दी।
उन्होंने घोषणा की कि भविष्य में अब मिड डे मील वर्करों को उनका मानदेय समय पर मिलेगा। गोविंद ठाकुर ने कहा कि मिड डे मील वर्कर्ज को मानदेय (Honorarium) जारी करने में देर केंद्र सरकार द्वारा समय पर धनराशि जारी न करने के कारण हुई। लेकिन अब प्रदेश सरकार ने अपने स्तर पर इसका मानदेय का प्रावधान किया है और मिड डे मील वर्कर्ज को मानदेय शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि मिड डे मील योजना केंद्र सरकार की योजना है और इसे 90:10 में चलाया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य सरकारी स्कूलों में बच्चों का ड्राप-आउट रोकना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 10739 प्राइमरी स्कूलों में और 4778 मिडिल स्कूलों में मिड डे मील योजना चल रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस योजना के तहत मिड डे मील वर्कर्ज के मानदेय पर 24.25 करोड़ रुपए सालाना खर्च कर रही है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि मिड डे मील वर्कर्ज एसएमसी के पार्टटाइम कर्मचारी हैं और ये सरकारी कर्मचारी नहीं है। बावजूद इसके प्रदेश सरकार इन्हें 12 माह का वेतन देने पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार में मिड डे मील वर्कर्ज को केवल 12 सौ रुपए मासिक मानदेय दिया जा रहा थाए जिसे बढ़ाकर कर 26 सौ रुपए कर दिया है। यही नहीं, अब इनके मानदेय में हर साल वृद्धि का प्रावधान भी किया गया है।
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