-
Advertisement
नेपाल, चीन या तिब्बत? कहां से आया मोमोज आज भारत में हो गया हिट….
Momos History: हमारे देश में यूं तो खाने की इतनी वैरायटी है कि अपने राज्य तो छोड़िए हर गली मोहल्ले में कुछ ना कुछ स्पेशल खाने को मिल जाएगा। बात चाइनीज स्ट्रीट डिश की करें तो चाउमीन और मोमो लिस्ट में सबसे ऊपर आते है। आजकल चाउमीन और मोमो हर गली मोहल्ले में हर ठेले से लेकर रेस्तरां तक आसानी से मिल जाता है। आज बात करते हैं मोमो की…. लोगों को मोमो खाना पसंद है…ये आज तरह- तरह की वेराइटी में बाजार में उपलब्ध है…. क्या आप जानते हैं कि ये सबसे पहले कहां बनना शुरु हुआ था और भारत कैसे पहुंचा….

इतिहासकार मानते हैं, मोमोज की उत्पत्ति तिब्बत में हुई, यहां पर सबसे पहले मोमोज बनाए गए। मोमो को तिब्बतियन शब्द मॉग-मॉग (Mog-Mog) से बनाया गया है। इसका मतलब स्टफ्ड बन होता है, यानी कि मोमो का फुल-फुॉर्म मॉग-मॉग है, जिसे शॉर्ट नाम से जाना जाता है। मौसम ठंडा होने के कारण स्टीम्ड खाने का चलन शुरू हुआ। इस तरह से बनाए गए फूड लम्बे समय तक गर्म और सुरक्षित रहता था। तिब्बती भाषा में मोमोज का मतलब होता है भाप में पकी हुई ब्रेड या डंपलिंग।

कुछ इतिहासकार मानते हैं, मोमोज बनाने की प्रेरणा चीनी डंपलिंग डिश जियाओज़ी और बाओज़ी से मिली है। यह रेसिपी तिब्बत तक पहुंची और स्थानीय स्वाद के मुताबिक बदली। इस तरह मोमोज तैयार हुआ। यह तिब्बत और नेपाल से होते हुए पड़ोसी देशों तक पहुंचा। नेपाल में इसे स्थानीय मसालों और चटनी के साथ परोसने की परंपरा शुरू हुई।

दावा यह भी किया जाता है कि काठमांडु का एक व्यापारी अपनी यात्राओं के दौरान तिब्बत से मोमोज की रेसिपी को भारत लाया था। धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता देश के अलग-अलग हिस्सों में फैली और लोगों को पसंदीदा फूड बन गया। पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और असम में मोमोज़ की विभिन्न किस्में पसंद की जाती हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय व्यंजनों में शामिल है।
भारत में 1960 के दशक में मोमोज के पहुंचने की शुरुआत हुई क्योंकि इसी दौर बड़ी संख्या में तिब्बती लोग भारत पहुंचे और अलग-अलग हिस्सों में बसने लगे। इसमें लद्दाख, दार्जिलिंग, धर्मशाला, सिक्किम और दिल्ली शामिल रहा। यही वजह है कि इन जगहों पर मोमोज की बड़ी वैरायटी के साथ ऑथेंटिक टेस्ट भी मिलता है।
पंकज शर्मा
