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Corona की मारः बाबा बालक नाथ मंदिर के चढ़ावे में भारी गिरावट- जानिए कितना चढ़ा
हमीरपुर। कोरोना (Corona) महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन में एक तरफ जहां उद्योग-धंधे प्रभावित हुए हैं तो वहीं धार्मिक संस्थानों का राजस्व भी कम हुआ है। सरकार के आदेशों के बाद सभी धार्मिक संस्थानों को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया हैं। मंदिर में आय का मुख्य साधन चढ़ावा होता है, लेकिन लॉकडाउन के चलते मंदिरों के राजस्व में भी काफी कमी आई है। बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध (Baba Balak Nath Temple Deotsidh) को उत्तरी भारत का सबसे बड़ा सिद्ध पीठ माना जाता है। बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध ट्रस्ट की सालाना आमदनी 30 करोड़ के लगभग है, लेकिन इस साल जनवरी से अप्रैल महीने तक सिर्फ पांच करोड़ की ही आमदनी हुई है। मंदिर के चढ़ावे में आई गिरावट पर बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध के अधिकारी ओपी लखन पाल का कहना है कि पिछले साल चैत्र मास मेलों के दौरान लगभग नौ करोड़ से अधिक चढ़ावा चढ़ा था, लेकिन इस बार 17 मार्च से मंदिर के कपाट बंद होने के कारण चढ़ावा महज 2 करोड़ 34 लाख रुपए रह गया है।
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कोरोना की वजह से मंदिर को सरकार के आदेश के बाद 17 मार्च को वैश्विक महामारी के चलते मंदिर को बंद कर दिया गया था, जिस वजह से पहली मार्च से 17 मार्च तक महज 2 करोड़ 34 लाख रुपए का चढ़ावा ही इस अवधि में मंदिर के खजाने में जमा हुआ है। पिछले साल बात की जाए तो जनवरी से अप्रैल तक 11 करोड़ के लगभग चढ़ावा चढ़ा चुका था, लेकिन इस बार चढ़ावे में भारी गिरावट आई है और सिर्फ पांच करोड़ चढ़ावा अप्रैल महीने तक मंदिरों में चढ़ा है।बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध के अधिकारी ओपी लखन पाल ने बताया कि कोरोना के चलते सरकार के निर्देशों पर 17 मार्च से मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे। उन्होंने बताया कि अब मंदिर के खजाने में अप्रैल माह तक 11 करोड़ के लगभग चढ़ावा चढ़ाया गया है, जोकि पिछले सालों के मुकाबले काफी कम है। मंदिर अधिकारी की मानें तो साल भर में 40 लाख से अधिक श्रद्धालु मंदिर में आते हैं। मंदिर ट्रस्ट ने हाल ही में सीएम रिलीफ फंड (CM Relief Fund) के लिए पांच करोड़ की राशि भेंट की है ।
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बता दें कि चैत्र मास मेले 14 मार्च से 13 अप्रैल तक एक महीना आधिकारिक रूप से चलते हैं, जबकि अनौपचारिक रूप से जून महीने तक श्रद्धालु मंदिर में भारी संख्या में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट दियोटसिद्ध के तहत 2 कॉलेज (College) और एक स्कूल चलता है। इन तीनों शैक्षणिक संस्थानों का आर्थिक पोषण ट्रस्ट ही करता है, जबकि ट्रस्ट के जितने भी कर्मचारी हैं, उन्हें भी वेतन बाबा जी के खजाने से ही दिया जाता है।