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शहरी निकायों से 76 करोड़ वापस मांगने के फैसले से आ रही राजनीतिक बू- बोले संजय
धर्मशाला। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय शर्मा ने सरकार द्वारा शहरी निकायों (Urban Bodies) से 76 करोड़ रुपया वापिस मांगे जाने के निर्णय की कड़ी निंदा की है। एक तरफ सरकार खुद मान रही है कि प्रदेश में हर क्षेत्र में आपदा का प्रकोप हुआ है और उस से उभरने के लिए चाहे स्थानीय निकाय हो या फिर पंचायती राज संस्थाएं, इनको बरसात के प्रभाव से उभारने के लिए धन की आवश्यकता है और दूसरी तरफ पैसा वापस मांगने का निर्णय लिया जा रहा है जो कि जनहित विरोधी है।
सरकार तुरंत वापस लें आदेश
सरकार (Government) को शहरी निकायों के ऊपर वित्तीय शिकंजा नहीं कसना चाहिए बल्कि उनकी और अधिक आर्थिक सहायता करनी चाहिए ताकि स्थानीय स्तर पर हुए नुकसान की भरपाई हो सके। सरकार ने प्रदेश के पांच नगर निगमों 29 नगर परिषदों और 26 नगर पंचायतों से जो 76.82 करोड़ रुपए की राशि वापस (Return) जमा करने का आदेश दिया है उसे तुरंत वापस लेना चाहिए। यदि सरकार कोई नया नियम बनाकर शहरी निकायों को वार्षिक ग्रांट देना चाहती है तो उसे भविष्य में लागू किया जाना चाहिए था ना कि वर्तमान में आवंटित राशि को वापस लेना चाहिए था।
ऐसे कदम उठाने से परहेज करें सरकार
सरकार के इस फैसले से राजनीतिक बू आ रही है क्योंकि प्रदेश में अधिकतर नगर परिषदों और नगर पंचायत पर बीजेपी (BJP) का कब्जा है और सरकार ऐसे निर्णय लेकर वहां पर विकास को बाधित करना चाहती है ताकि भविष्य (Future) में इन नगर परिषदों और नगर पंचायत पर कांग्रेस को काबिज करवा सके। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 153.64 करोड़ शहरी निकायों के लिए आवंटित किए गए थे इसमें अधिकतर पैसा केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा दिया गया है। बीजेपी का मानना है कि सरकार न सिर्फ शहरी निकायों से बल्कि अन्य भी कई विभागों से आवंटित राशि को वापस मांग रही है और उसे अपनी चुनावी गारंटीयों के लिए खर्च करना चाहती है लेकिन सरकार को ऐसे कदम उठाने से परहेज करना चाहिए क्योंकि यह जनहित के निर्णय नहीं हैं।
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