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हाईकोर्ट के आदेश- स्वतंत्रता सेनानी की विधवा को 1974 से बकाया पेंशन दें केंद्र सरकार
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट ने एक स्वतंत्रता सेनानी की विधवा को पेंशन देने के निर्णय को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की अपील को खारिज़ कर दिया। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार आदेश दिया कि उसे ब्याज सहित पेंशन की बकाया राशि का भुगतान करे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अपील सुनवाई करने के पश्चात उपरोक्त आदेश पारित किए। याचिकाकर्ता ब्राह्मी देवी ने स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय धनी राम की विधवा होने के नाते उन्हें स्वतंत्रता सेनानी पेंशन देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि स्वर्गीय धनी राम ने 1946 तक एक सिपाही के रूप में डोगरा रेजिमेंट में सेवा की। वर्ष 1939 से 1945 तक उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होकर द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया। उन्हें पैसिफिक स्टार, रक्षा पदक और युद्ध पदक से सम्मानित किया गया। उन्हें समान रूप से रखे गए व्यक्तियों के साथ राष्ट्र के स्वतंत्रता सेनानी घोषित किया गया था।
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स्वर्गीय धनी राम को एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में डीसी बिलासपुर ने स्वीकार किया और उन्हें एक पहचान पत्र भी जारी किया गया था। धनी राम के पेंशन अनुदान के अनुरोध पर राज्य द्वारा विचार नहीं किया गया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से पेंशन लगाने बाबत गुहार लगाई थी जिसे हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 29.09.2016 को स्वीकार करते हुये 04.04.1974 से पेंशन आठ सप्ताह के भीतर जारी करने के आदेश दिये थे, ऐसा नहीं करने पर प्रतिवादी उक्त पेंशन पर 9% ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे। केंद्र सरकार ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी जिसे कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को 23 अगस्त, 2021 तक अनुपालना शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया है।