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अब क्यूआर कोड से होगी दवा की पहचान, आसानी से डिटेल चलेगी पता
भारत सरकार ने दवा निर्माताओं के लिए अपनी दवाओं में इस्तेमाल होने वाले सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (API) पर क्यूआर कोड डालना अनिवार्य कर दिया है। क्यूआर कोड (QR Code) प्रोडक्ट और मेनुफैक्चर कंपनी के बारे में जानकारी पता लगाने में मदद करेगा, जैसे बैच की जानकारी, कच्चे माल की उत्पत्ति, फॉर्मूला से हुई छेड़छाड़ और प्रोडक्ट्स डेस्टिनेशन का पता लगाने में मदद मिलेगी।
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जानकारी के अनुसार, भारत में 25 फीसदी के करीब दवाइयां नकली हैं, ऐसे में भारत दुनियाभर में नकली दवाओं का तीसरा सबसे बड़ा मार्केट है। जून 2019 में ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (डीटीएबी) ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। क्यूआर कोड की नकल करना नामुमकिन होता है, क्योंकि ये हरे बैच नंबर के साथ बदलता है।
बता दें कि ये नया नियम 1 जनवरी, 2023 से लागू होगा। इस नए नियम से असली और अब इससे नकली दवाओं के बीच अंतर करना काफी आसान हो जाएगा। इस नियम के अनुसार दवा कंपनियां दवाइयों पर क्यूआर कोड लगा देंगी, जिसे स्कैन करते ही आपको उस दवा के दाम के साथ कॉम्बिनेशन आदि के बारे में पता चल जाएगा। इसके लिए आपको अपने फोन से क्यूआर कोड को स्कैन करना होगा।
ये होता है क्यूआर कोड
क्यूआर कोड का मतलब क्विक रिस्पॉन्स होता है। ये बारकोड का अपग्रेड वर्जन है, जिसे तेजी से रीड करने के लिए बनाया गया है।
बता दें कि एपीआई या एक्टिव फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट मुख्य कच्चे माल हैं, जिनका इस्तेमाल टैबलेट, कैप्सूल, सिरप और इंटरमीडिएट के निर्माण में किया जाता है। फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज के लिए एपीआई मोबाइल फोन उद्योग के लिए प्रोसेसर चिप्स हैं।