-
Advertisement

चंद्रयान-3 का लैंडर अलग हुआ प्रोपल्शन मॉड्यूल, 23 अगस्त को होगी सॉफ्ट लैंडिंग
नई दिल्ली। भारत के चंद्रयान-3 का लैंडर (Lander) और प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module) गुरुवार दोपहर डेढ़ बजे एक-दूसरे से अलग हो गए। चंद्रयान मिशन का यह सबसे आखिरी चरण था। अब केवल चंद्रयान-3 (Chandrayan 3) के लैंडर को 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landing) करनी है। इसरो का अनुमान है कि 23 अगस्त को शाम 5.47 के करीब भारतीय यान चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
पांचवां चरण हुआ पूरा
14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से रवाना होने के बाद चंद्रयान-3 ने तीन हफ्तों में कई चरणों को पार किया। पांच अगस्त को पहली बार चांद की कक्षा में दाखिल हुआ था। इसके बाद 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रयान-3 ने अलग-अलग चरण में प्रवेश किया। इसरो ने इन तीन हफ्तों में चंद्रयान-3 को पृथ्वी से बहुत दूर स्थित कक्षाओं में स्थापित किया।
यह भी पढ़े:कहीं चंद्रयान 3 के रूसी यान लूना से टकराने का खतरा तो नहीं?
आज का दिन था बेहद अहम
चंद्रयान-3 के लिए आज का दिन बेहद अहम रहा। आज दोपहर करीब डेढ़ बजे इसरो (ISRO) की टीम ने चंद्रयान-3 के स्पेसक्राफ्ट को दो हिस्सों में बांटा। प्रोपल्शन मॉड्यूल से विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान अलग हो गए। इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद चंद्रयान-3 की अंतिम प्रक्रिया भी पूरी गई है। अब चांद पर सिर्फ लैंडिंग होगी, जिसे विक्रम अकेले ही पूरी करेगा। इसरो ने 23 अगस्त को लैंडिग की तारीख तय की है। इससे पहले 16 अगस्त को इसरो ने भारतीय यान को 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में प्रवेश कराया था।
चांद पर लैंडिंग करेगा विक्रम
विक्रम अपने साथ रोवर को लेकर चांद की धरती पर उतरेगा और चांद पर लैंड करने के बाद लैंडर से रोवर अलग हो जाएगा। यान का तीसरा महत्वपूर्ण हिस्सा प्रोपल्शन मॉड्यूल है, जो लैंडर और रोवर दोनों को साथ लेकर आकाश में गया है। प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम लैंडर और रोवर (Rover) को ले जाना था।
प्रोपल्शन मॉड्यूल का आगे क्या काम?
प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद की आखिरी कक्षा तक विक्रम और रोवर के साथ रहेगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल ने लैंडर और रोवर को चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर ऊपर तक छोड़ दिया है। इसके बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर से कम्युनिकेशन बनाए रखने के लिए चक्कर लगाता रहेगा। इसके साथ ही डेटा कलेक्ट कर जमीन पर भेजता भी रहेगा।