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हिमाचल के इस किसान ने खोजी नई तकनीक, मात्र 24 घंटें में तैयार होगा मशरूम कंपोस्ट
ऊना। मशरूम उत्पादन के लिए अभी तक अपनाई जा रही परंपरागत विधि को अलविदा कहने का समय आ गया है। ऊना जिला के अग्रणी मशरूम उत्पादक युसूफ खान ने कई दिनों की मेहनत के बाद मशरूम उत्पादन के लिए तैयार होने वाली मशरूम कंपोस्ट का एक ऐसा विकल्प ढूंढ निकाला है जो महज 24 घंटे के भीतर मशरूम उत्पादन के लिए अब तैयार रहेगा। इसके अलावा मशरूम उत्पादन के लिए परंपरागत विधि के अनुसार तकरीबन चार से पांच अनिवार्य चीजों की जरूरत पड़ती थी लेकिन अब उनकी जगह केवल मात्र एक कंटेंट गेहूं का भूसा लेने वाला है।
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आज तक एक भ्रम था की मशरूम को सिर्फ मशरूम कंपोस्ट पर की उगाया जा सकता है। इसके लिए ना केवल 5 अनिवार्य चीजों की जरूरत रहती थी, बल्कि इसके साथ-साथ इस खाद को तैयार करने के लिए एक पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर और करीब 15 से 16 दिन का इंतजार भी बेहद जरूरी रहता था। लेकिन अब जिला ऊना के अग्रणी मशरूम उत्पादक युसूफ खान द्वारा किया गया एक प्रयोग इन तमाम चीजों को गौण साबित कर रहा है। युसूफ खान के प्राथमिक प्रयोग से यह पता चला है जो पिछले 70 सालों से एक कंपोस्ट बनाने की विधि का प्रयोग किया जा रहा है, उसकी जरूरत नहीं रहेगी। उन्होंने सिर्फ गेहूं के भूसे को हाइड्रोपोनिक न्यूट्रिएंट्स के माध्यम से 24 घंटे के भीतर भीतर मशरूम उगाने के लिए प्रयोग किया और यह पाया जो हम अतीत में करते आ रहे हैं, उसकी जरूरत ही नहीं थी। केवल मात्र गेहूं के भूसे की हाइड्रोपोनिक न्यूट्रिएंट्स के माध्यम से तैयार की गई खाद में बढ़िया मशरूम का बीज फैलाया गया। जो परिणाम सामने आए हैं आश्चर्यजनक हैं। मशरूम की खेती में इस नए प्रयोग को सिरे चढ़ाने वाले अग्रणी मशरूम उत्पादक युसूफ खान कहते हैं कि अगर आने वाले समय में कमर्शियल का ट्रायल कामयाब रहा तो यह मशरूम के इतिहास में बहुत बड़ी सफलता होगी।
उधर रिटायर्ड प्रोफेसर डॉक्टर बृजमोहन शर्मा ने भी युसूफ खान द्वारा नई विधि से तैयार गई इस मशरूम को देखा। उनके अनुसार यह ट्रायल वाकई ही एक आश्चर्यजनक है क्योंकि आज से पहले ऐसे ही परिणाम देखने को नहीं मिले उनके अनुसार अगर इसको स्टैंडर्डाइज किया गया तो आने वाला समय मशरूम उत्पादन में एक सुनहरा अवसर होगा। जिससे मशरूम की कंपोस्टिंग के लिए बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं पड़ेगी, 16-17 दिनों वाला काम सिर्फ 24 घंटे में हो जाएगा। लेकिन खान मशरूम फार्म एवं ट्रेनिंग सेंटर द्वारा की गई इस रिसर्च में अभी इसके ऊपर काम करना बाकी है, ताकि अनुसंधान को लोगों तक सही तरीके से पहुंचाया जा सके।